पीएम मोदी की विदेश यात्रायें साबित होंगी मील का पत्थर
विगत दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको की बेहद सफल यात्रा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इन यात्राओं की सर्वत्र चर्चा हो रही है। पीएम मोदी की विदेशों में लोकप्रियता चरम पर है वे जहां भी जा रहे है वहां-वहां मोदी-मोदी और भारत माता की जय के नारे लग रहे हैं। एक ओर जहां पीएम मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर उनकी सफलता और विश्व में भारत की बढ़ती स्वीकार्यता से कुछ लोगों व चीन, पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों को जलन भी हो रही है। पीएम मोदी की विदेश यात्राओं की पाकिस्तानी मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। लेकिन भारत में उनके धुर विरोधी तर्कहीन आलोचना कर रहे हैं। जब अफगानिस्तान और कतर जैसे देशों में मोदी जी का भव्य स्वागत हुआ और उन्हें सम्मान मिला तो यहां के विपक्षी दल कहने लग गये कि देश में सूखा पड़ा है और यहां के किसान आत्महत्या कर रहे हैं तब वे विदेश यात्रा कर रहे हैं। जिससे पता चल रहा है कि भारत के विपक्षी दल अब अपने तर्क और ज्ञान के मामले में पूरी तरह से खोखले हो चुके हैं।
वैसे तो पीएम मोदी का सभी देशों में भव्य स्वागत हुआ और उन्हें सम्मान भी दिया गया लेकिन सबसे अधिक सम्मान उन्हें अफगानिस्तान और अमेरिका में मिला। अफगानिस्तान में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वाेच्च नागरिक सम्मान से सम्मािनत किया गया। अपनी अफगान यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने हेरात में भारत-अफगान मैत्री बांध का उदघाटन किया। इस अवसर पर भी उन्होनें कहा कि भारतीय मिशनों पर आतंकवादी हमलों के बावजूद भारत अपनी सहायता जारी रखेगा। चीन और पाकिस्तानी मीडिया को पीएम मोदी की अफगान यात्रा पसंद नहीं आयी। यहां पर मोदी जी ने अफगानिस्तान के साथ पुरानी मैत्री का भी हवाला दिया। पीएम मोदी की अफगान यात्रा वाकई बेहद कूटनीतिक व सामरिक दृष्टि से भी अधिक महत्वपूर्ण रही हैं। कभी तालिबान आतंक के कहर से त्रस्त रहे अफगान में पाकिस्तान और चीन कभी नहीं चाहते कि वहां पर भारत की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण और व्यापक हो जाये। यही कारण है कि अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास व वहां पर कार्यरत भारतीय और उनके परिवार के लोग आतंकी निशाने पर आते रहते हैं।
इसके बाद पीएम मोदी कतर गये वहां पर भी उनका भव्य स्वागत हुआ और भारतीयों के साथ भोजन भी किया। तेल उत्पादक देश होने के कारण कतर भारत के लिए बेहद उपयोगी है। यह अरब का सबसे अमीर देश है। भारत को सबसे सस्ता कच्चा तेल आयात करता है। कतर के साथ सात महत्वपूर्ण समझौते भी हुए हैं। आतंकवाद और गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में कतर भारत के साथ एक महती भूमिका निभा सकता है। पीएम मोदी की स्मार्ट सिटी परियोजना और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। यही कारण है कि पीएम मोदी ने कतर में बसे निवेशकों और भारतीय नागरिकों का दिल जीतने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। यहां पर पीएम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रखने के भी संकेत दिये और उनकी बातों से लगा कि आने वाले समय में भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी। कतर में पहली बार लगा कि कोई कोई प्रखर व्यक्तित्व का धनी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जिसकी हर जगह अमिट छाप दिखलाई पड़ रही है। मोदी की कतर यात्रा से भारत-कतर मैत्री के नये आयाम स्थापित हो सकेंगे, ऐसी आशा है।
कतर में प्रधानमंत्री ने अपने सबोंधन में कहा कि आज पूरी दुुनिया भारत की ओर आकर्षित हो रही है और जिज्ञासा की नजरों से देख रही है। साथ ही भारत की छवि पहले से कहीं अधिक बेहतर हंुई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को लेकर पूरी दुनिया में जबर्दस्त उत्साह है। कतर के बाद पीएम स्विटजरलैंड पहुंचे। यहां पर भी उनका भव्य स्वागत किया गया। यहां पर पीएम ने उद्योगपतियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। यहां पर पीएम मोदी ने कहा कि हम भारत में बड़ी संख्या में पर्यटकों का स्वागत करने के भी इच्छुक हैं। इस अवसर पर स्विस बैंकों में भारतीयों के कालेधन की वापसी के मुदे पर भी चर्चा हुयी और कर चोरों पर शिकंजा कसने के लिए दोनों देश सूचनाओं के आदान-प्रदान पर भी सहमत हुए। उधर भारत-यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत बहाल करने के प्रयासों के तहत स्विटजरलैंड की व्यापार मामलों की वरिष्ठ अधिकरी भी भारत आने वाली है। यह यात्रा कालेधन का पता लगाने के सिलसिले में आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी का सबसे अहम पड़ाव अमेरिका रहा। जहां पूरे विश्व की निगाहें मोदी ओबामा के बीच गहराती दोस्ती और उससे निकलने वाले पड़ावों पर थी। पीएम मोदी और ओबामा की बीच अब तक वार्ताओं के चार सफल दैार हो चुके हैं। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा इस समय और भी अधिक महत्वपूर्ण रही क्योंकि अब अमेरिका में राष्ट्रपति ओबामा के पास बहुत ही कम समय बचा हैं। वहां पर अगले राष्ट्रपति के चयन का दौर चल रहा है। रिपब्लिकन ट्रंप और डैमोक्रेट हिलैरी क्ंिलटन के बीच जोरदार मुकाबला देखने को मिल रहा है। इन चुनावों को लेकर पूरे विश्व में उत्सुकता है। अमेरिका यात्रा का उददेश्य मूल रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना तो था ही साथ ही रक्षा, विज्ञान, अनुसंधान और तकनीक के नये क्षेत्रों में मैत्री सहयोग का विस्तार करना भी था, जिसमें भारत पहली बार लगभग सफल भी रहा है।
मोदी-ओबामा की दोस्ती से सबसे अधिक बैचेनी चीन और पाकिस्तान में दिखायी पड़ रही है। पाक मीडिया में मोदी-ओबामा की मुलाकात पर घंटों बहसें होती रहीं और भारत के खिलाफ जहर उगला गया। आतंकी हाफिज सईद से परमाणु हमले तक की धमकियां तक दिलवायी गयीं। अब खबर है कि पाकिस्तान में ही भारत विरोधी आतंकी संगठनों के आकाओं को छुपा कर रख दिया गया है तथा पाकिस्तान इस बात से साफ इंकार कर रहा है कि दाऊद इब्राहीम पाकिस्तान में छिपा है। मोदी-ओबामा की मुलाकात का असर भारत के शेयर बाजारों में भी दिखलायी पड़ा। इस वार्ता के बाद अमेरिका भारत में छह परमाणु प्लांट लगाने में सहमत हो गया है। इस यात्रा के दौरान सबसे बड़ी सफलता मिसाइल तकनीक नियंत्रण और हस्तांतरण से जुड़े समूह एमटीसीआर में भारत के प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है। इस समूह में शामिल होने के बाद भारत अपनी मिसाइल तकनीक को दूसरे देशों को बेच भी सकेगा। जिसके कारण भारत को हथियारों के नये बाजार भी मिल सकेंगे।
साथ ही भारत को पहली बार काफी मजबूती के साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भी शाामिल होनें के लिए अमेरिका का सहयोग मिल गया। जिसके लिए पीएम मोदी ने सहयोग के लिए ओबामा को धन्यवाद भी दिया। यात्रा के दौरान सबसे गौरवपूर्ण क्षण उस समय आये जब अमेरिका ने करोड़ों रूपये की दौ सौ प्रतिमाएं पीएम मोदी की मौजूदगी में वापस कर दी। लौटाई गयी चीजों में अधिकांश कलाकृतियां दो सौ साल पुरानी हैं। वाशिंगटन पहुंचने पर पीएम मोदी ने कल्पना चावला को श्रद्धंजलि देकर भारतीयों का दिल जीत लिया।
अमेरिका में पीएम मोदी का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम वहां की संसद को संबोधित करना था। संसद से पीएम मोदी के भाषण को सुनने के लिए पूरा विश्व उतावला दिखलायी पड़ रहा था। जिसकी हनक और धमक चीनी और पाक मीडिया तथा आतंकी संगठनों के बीच भी दिखलायी पड़ रही थी। पीएम मोदी के भाषण पर अमेरिकी संसद में सांसदों ने लगभग 72 बार तालियां बजायीं। कहा जा रहा है अमेरिकी संसद में जितना स्वागत और सम्मान नरेंद्र मोदी का हुआ उतना किसी और का कभी नहीं हुआ। जब मोदी अमेरिकी संसद को संबोधित कर रहे थे उस समय बाहर खड़े लोग मोदी-मोदी के जोरदार नारे भी लाग रहे थे। उनका भाषण समाप्त होने के बाद वे सभी सांसद काफी खुश व अपने आप में काफी गर्व का अनुभव कर रहे थे कि उन्होंने पीएम मोदी का भाषण सुना। कई सांसदों ने उनके भाषण के लिए अंग्रेजी शब्द फैंटास्टिक का प्रयोग किया।
अभी कहा जा रहा था कि पीएम मोदी पाकिस्तान व चीन के खिलाफ काफी उदारता का परिचय दे रहे हैं। लेकिन अब उनके इस ऐतिहासिक भाषण के बाद कोई भी संदेह नहीं रहा गया है कि वे पाक व आतंक के प्रति उदार हैं। उन्होंने विश्व के सामने स्पष्ट कर दिया कि अच्छा या बुरा आतंकवाद कोई चीज नहीं है। आतंकवाद आतंकवाद होता है। पीएम ने पाकिस्तान पर करारा प्रहार करते हएु स्पष्ट कहा कि हमारे पड़ोस में आतंकवाद पल रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का पाठ पढ़ाने वालों को सबक सिखाना होगा। पीएम ने अपेन भाषण में योग का भी उल्लेख किया और कहा कि अमेरिका में लगभग तीन करोड़ लोग योग करते हैं। उन्होंने अपने भाषण में दोनों देशों के महापुरुषांे के नामों का उल्लेख किया। इस अवसर पर उन्होनें भारत अमेरिका सहयोग का उल्लेख भी बखूबी किया।
अब अमेरिका यात्रा के सफल समापन के बाद जब पीएम ने मैक्सिको का दौरा किया तब वहां पहुचने के बाद मैक्सिको ने भारत को एनएसजी की सदस्यता के लिए अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया। यह यात्रा कई प्रकार से काफी ऐतिहासिक व दूरगामी परिणामों के लिए मानी जायेगी। विशेषकर आतंक के खिलाफ लड़ाई में और एनएसजी की सदस्यता को लेकर। एनएसजी की सदस्यता के लिए चीन अभी भी अड़ंगेबाजी कर रहा हैं। पाकिस्तान भारत के दुश्मनों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रहा है। हालांकि ओबामा प्रशासन ने अब पाकिस्तान को सख्त चेतावनी जारी कर दी है कि पाकिस्तान की धरती का उपयोग भारत के खिलाफ कतई न हो। यह यात्रा कितनी सफल रही यह तो भावी परिणामों पर ही निर्भर करेगा लेकिन कम से कम विश्व में अब भारत की छवि में तेजी से निखार आ रहा है।
— मृत्युंजय दीक्षित