गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल –

बुढ़ापे में अब हमसे कसरत नहीं होती , उन्हें प्यार ना हुआ ,ना सही , हमसे नफरत नहीं होती ।

ना होते हम भी आवारा ना फिरते तेरी गलियों में , गर दिल तोड़ जाने की तेरी फितरत नहीं होती।

ना होती चाह पाने की तुझे जाने तमन्ना फिर , न होता ज़िक्र फिर तेरा , तेरी हसरत नहीं होती।

दी है मात प्यादे ने मेरे ,तेरे दिल के वज़ीर को , हर एक जीत का मतलब , बस शौहरत नहीं होती।

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - [email protected] व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।