भाषा-साहित्यसमाचार

काव्य-कलश – (भजन, गीत, ग़ज़ल संग्रह) लोकार्पित

लखनऊ. ‘नवपरिमल’, ‘बिम्ब कला केंद्र’ एवं ‘भावना’ के संयुक्त तत्वाधान में दि० ३ जुलाई, २०१६, रविवार को साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों एवं प्रबुद्ध साहित्यकारों से खचाखच भरे उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के यशपाल सभागार में इ०उदय भान पाण्डेय ‘भान’ की सद्यःप्रकाशित कृति ‘काव्य-कलश’ का लोकार्पण संपन्न हुआ | समारोह की अध्यक्षता श्री मदन मोहन ‘मनुज’ जी, अध्यक्ष ‘नवपरिमल’ एवं पूर्व निदेशक आकाशवाणी, ने की | समारोह में प्रमुख अतिथि न्यायमूर्ति श्री श्रीनाथ सहाय, मुख्य अतिथि क्रमशः डा० शम्भुनाथ (आई० ए० एस०), श्री उदय प्रताप सिंह (कार्यकारी अध्यक्ष, हिंदी संस्थान), श्री गोपाल चतुर्वेदी (सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार), एवं विशिष्ट अतिथि श्री मनीष शुक्ल (निदेशक, हिंदी संस्थान) उपस्थित हुए| प्रमुख वार्ताकार के रूप में प्रो० डा० उषा सिन्हा, जनाब नाज़ प्रतापगढ़ी, शायर, इं०वी. पी. श्रीवास्तव ‘बेख़ुद’, एवं डा० अरुणेन्द्र चन्द्र त्रिपाठी, साहित्यकार उपस्थित थे| कार्यक्रम का संचालन इं० देवकी नंदन ‘शांत’, साहित्य भूषण, ने किया|
अतिथियों का स्वागत इं० वी० के० शुक्ल, अध्यक्ष ‘भावना’, ने किया |IMG_20160707_140116

मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप-प्रज्वलन एवं माँ शारदे की मूर्ति पर माल्यार्पण के पश्चात् सरस्वती वंदना इं० अशोक कुमार मेहरोत्रा, अध्यक्ष बिम्बकला केंद्र, ने प्रस्तुत की| कृतिकार इं० उदय भान पाण्डेय ‘भान’ ने अपनी विस्तृत काव्य-यात्रा की चर्चा करते हुए संक्षेप में बानगी के तौर पर ‘काव्य-कलश’ से कुछ भजन, भोजपुरी गीत एवं ग़ज़ल प्रस्तुत कर श्रोताओं का आशीर्वाद तालियों की गड़गड़ाहट के रूप में बटोरा| प्रमुख वार्ताकार, मुख्य अतिथि, प्रमुख अतिथि एवं अध्यक्ष द्वारा ‘काव्य-कलश’ में संग्रहीत रचनाओं की खूब प्रशंसा की गई| वक्ताओं ने कहा- समस्त रचनाएं प्रभावशाली हैं, आध्यात्मिक शैली, खड़ी बोली और भोजपुरी लोक भाषा के भजनों को समेटे, पारम्परिक श्रृंगार एवं नित सामाजिक सरोकार तथा राष्ट्रीय-रस के गीतों से समाहित, हिन्दुस्तानी हिंदी-उर्दू की मिश्रित शैली में कही ग़ज़लों, नज़्मों, और क़तात ने ‘काव्य-कलश’ को इतना भर दिया है कि वह अब छलकने को बेताब है | धन्यवाद ज्ञापन इं० अमरनाथ, संपादक ‘भावना’, ने किया|

द्वितीय सत्र में ‘काव्य-कलश’ की कुछ रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुति रायपुर से आए हुए प्रो० चित्तरंजनकर, बरेली से आए श्री ख़ुर्शीद अली खान, श्री चन्द्रेश पाण्डेय, दिनेश श्रीवास्तव तथा नीलिमा दत्त द्वारा की गयी, जिसे श्रोताओं ने बहुत सराहा| कृतिकार ‘भान’ ने भी अपनी एक ग़ज़ल को गाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया| अंत में इं० राजेश अरोरा ‘शलभ’, महासचिव बिम्ब कला केंद्र, ने सबका धन्यवाद ज्ञापित किया|

इं० देवकी नंदन ‘शांत’
महासचिव ‘नवपरिमल’, लखनऊ