एक गीत बारिश के नाम~~~
आई बरखा सुहानी ,
पड़ी रिमझिम-रिमझिम फुहारें ,
गा रे गा रे दिल गीत मिलन के गा रे!!
अब सूरज का रुआब कम हुआ ,
मेहरबान नेह की बदरी हुई ,
अब धरती की धानी चुनर हुयी ,
सतरंगी आकाश की पगड़ी हुयी ,
मन प्रीत फूहार में पगने लगा
बाहों के झूले लगा ले !!
गा रे गा रे ये दिल गीत मिलन के गा ले!!
डाल-डाल और पात -पात ,
फूल -फूल और कली -कली ,
झरी बूँदे झर -झर ,झर-झर
झूमें मन्द पवन संग अलि-अलि ,
मल्लाहों के मस्त मल्लहार हुए
रोपनी ,बारहमासा और कजरी हुयी
प्यासी धरती अघा जाए ,
नेह रसधार पिला रे ,
आ रे आरे चँदा गीत मिलन के गा रे !!!!!!!
— आरती आलोक वर्मा
अच्छा गीत !