काश तेरा पता मालूम होता
काश तेरा पता मालूम होता
मै एक खत
तुम्हारे नाम लिखती
जैसे पहले लिखा करती थी
वो गुलाब के सूर्ख पंखूडी
आज भी पडे हुये है
मेरे उस डायरी मे
जिसमे तेरे नाम का हजारो
खत भरे पडे है
उस पल का साथ
सुन्दर अहसास
आज भी हमे याद है
काश तुम्हारे तक
मेरे सभी अहसास पहूँच पाते
और खत लेने तुम
खुद ही मेरे पास आ जाते|
निवेदिता चतुर्वेदी