कविता

“एक बेटी- शिक्षिका बनने की ख़ुशी”

ख़ुशी मिली है ख़ुशी मिली है
यारों मुझको ख़ुशी मिली है……

मेहनत लगन अधीर हुई थी
करम करत तन पीर हुई थी
आशा और निराशा के संग
बोझिल यह तकदीर हुई थी

आज मुझे भी सुबह मिली है
यारों मुझको ख़ुशी मिली है……

अक्षर अक्षर लकीर हुई थी
शब्द सुलह तपकीर हुई थी
किताबों ने चलना सिखलाया
भाषा मेरी भी अमीर हुई थी

आज शिक्षिका सखी मिली है
यारों मुझको ख़ुशी मिली है……

पाठ पठन की डगर हुई थी
स्कूलों में खूब रगर हुई थी
सखियों की टोली झोली में
मिलते विछड़ते असर हुई थी

आज सूची में जगह मिली है
यारों मुझको ख़ुशी मिली है……..

एम.एमएड,बी.टी.सी हुई थी
नेट टेट भी सफल हुई थी
करनी होती कठिन तपस्या
तब डिग्री की कदर हुई थी

आज शिक्षका सनद मिली है
यारों मुझको ख़ुशी मिली है……..

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ