अदभुत है स्मार्ट सिटी की सोच मगर मुश्किल है डगर
गत दिनों स्मार्ट सिटी अभियान के तीसरे चरण में देश के 27 शहरों का चयन किया गया जिसमें कुछ बड़े शहरों के साथ आगरा , कानपुर और वाराणसी यानि जो खुद प्रधानमंत्री का चुनाव क्षेत्र है , उसे भी शामिल किया गया ,हर बार की तरह इस बार भी विवादों का बाजार गर्म है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए यह लिया गया फैसला है , हो सकता है यह सही भी हो या फिर चयन की साधारण प्रकिया के तहत ही वाराणसी का भी चुनाव हुआ हो लेकिन इन सब से इतर एक बात सबसे सुखद है कि भले ही राजनीतिक महत्वाकांक्षा हेतु ही सही लेकिन अगर कुछ अच्छा हो रहा तो उसकी सराहना की जानी चाहिए ।
ज्ञातव्य हो केन्द्र सरकार के स्मार्ट सिटी योजना के तहत कुल 100 शहरों का चुनाव होना है , इसके पहले के दो चरण में 33 शहरों को पहले ही चुना जा चुका है , ऐसे में आम जानता कि यह जिज्ञासा की आखिर यह स्मार्ट सिटी योजना है क्या ? इसके तहत आम नागरिक को क्या फायदा मिलेगा ? चयनित शहर को कैसे विकसित किया जाएगा ? और इन सब से उपर क्या सचमुच स्मार्ट सिटी का सपना पुरा हो पाएगा ?
अगर इस योजना का विश्लेषण करे तो स्मार्ट सिटी शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्लानिंग के अनुसार शहरों का चयन कर वहाँ का स्थानीय विकास तथा नागरिको की तमाम आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उसे प्रौद्योगिकी से जोड़कर सारी सुविधा मुहैया करवाना है , अगर सीधे शब्दो में कहे तो शहर को इ गवर्नेंस तथा डिजिटल इंडिया के कार्यक्रम के तहत विकसित करना है ।
अब सवाल उठता है कि आखिर आम जनता को इसका क्या फायदा होगा या इसे ऐसे कहे कि आम जनजीवन पर स्मार्ट सिटी के विकास से क्या फर्क पड़ेगा , स्मार्ट सिटी के निर्माण के बाद योजना के अनर्गत जो मूलभूत सुविधा आम जनजीवन को प्राप्त होगा वह है , प्रयाप्त बिजली और पानी की उपलब्धता , ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता, गरीबो के लिए कम कीमत पर आवास , प्रयाप्त परिवहन और उसकी सुगम गतिशीलता , आई टी कनेक्टिविटी और डिजिटलिकरण , ई गवर्नेंस, सुदृढ पर्यावरण, नागरिक सुरक्षा , हर नागरिक हेतु स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था, प्रथम दृष्टया अगर किसी शहर में इन सुविधाओं की कल्पना भी करे तो मन रोमांचित हो उठता है ,
अब सवाल उठता है कि आखिर इन शहरों को विकसित करने की जो योजना है उसका प्रारूप क्या होगा , सरकार ने इस दिशा में केसे आगे बढेगी , स्मार्ट सिटी के विकास हेतु शुरुआत में 5 वर्ष की समय सीमा सरकार ने रखा है अतः यह वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2019-20 तक होगा , केन्द्र सरकार पहले वर्ष 200 करोड़ रूपए तथा अगले तीन वर्षो तक 100 करोड़ रूपये प्रत्येक चयनित शहर को देने का प्रस्ताव है , इस प्रकार राज्य सरकार और केन्द्र सरकार आपस में मिल कर भिन्न भिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन करते हुए चयनित शहर को विकास के ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास करेंगे , जिसे उस शहर और राज्य में निवेश भी बढेगा और नागरिकों को नई नौकरी का मौका होगा तथा नागरिकों के साथ वह शहर भी आर्थिक रूप से भी सुदृढ होंगे जिसका सीधा प्रभाव सम्पूर्ण राज्य पर पड़ेगा ।
अब आखिरी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल ” स्मार्ट सिटी का सपना पूरा होगा या नही , स्मार्ट सिटी की कल्पना ही विकास की अद्भुत सोच है फिर उसका जमीन पर कार्यान्वयन तो सचमुच अदभूत है, लेकिन इस सपने के पूरा होने के रास्ते में कई मुश्किल और चुनौतियाँ है इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है , इसके रास्ते में जो सबसे बड़ी मुश्किल है वो है इसके लिए प्रस्तावित वित्तीय राशि , आज की तारीख में देश में शायद ही कोई शहर है जो बिल्कुल योजना के अनुरूप बसा हुआ है , ऐसे ही हालत शहर में छोटे बड़े नाले की है जो बिना किसी योजना के तहत अपने सुविधा अनुसार बना दिए गए है , शायद ही कोई शहर ऐसा हो जिसके सड़कों की हालत दुरूस्त हो , आजादी के इतने साल के बाद भी हम बाढ जैसे विपदा से बचने के लिए कोई योजना नही बना पाए है , कमोबेश देश का हर शहर बरसात के मौसम में जल जमाव का शिकार होते है , ऐसे में चिंता की बात है कि केन्द्र सरकार से मिलने वाली प्रत्येक चयनित शहर के लिए यह राशि शायद प्रयाप्त न हो , दूसरी जिससे देश के हर शहर जुझ रहा है वो है अतिक्रमण की समस्या , इस समस्या से देश का हर छोटा बड़ा शहर पीड़ित है, जो ट्रैफिक जाम और सड़क के चौड़ीकरण में बाधा जैसी समस्या भी उत्पन्न करता है , तीसरी समस्या झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगो की है , ऐसे लोग अपना घर छोड़ किसी दूसरे जगह नहीं जा सकते क्योकि इनकी वित्तीय स्थति इसकी इजाजत नही देती है , सरकार कैसे इन्हे हटा पाएगी और इन्हे फिर से बसाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी , इन सारे विकास के साथ शहर को प्रदुषण मुक्त रखना और पर्यावरण का विकास और संरक्षण भी एक बड़ी चुनौती होगी , आज भले ही हम 2 जी से 4 जी तक पहुंच गए हो लेकिन इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता आज भी इसके स्पीड से संतुष्ट नही है , विश्व के कई देश जिन्हें स्मार्ट सिटी की मान्यता प्राप्त है वहाँ हाई स्पीड इंटरनैट की उपलब्धता जो ई गवर्नेंस में बहुत मददगार है क्योकि इंटरनेट ई गवर्नेंस की बुनियादी जरूरत है , यहाँ एक छोटा सा उदाहरण देना चाहूंगा , जब बैकों में कोर बैकिंग की सुविधा की शुरूआत हुई तो यह है सरकार द्वारा लिया बेहद लाभकारी कदम था और उसका लाभ भी उपभोक्ता को हुआ और हो रहा है लेकिन आज की तारीख में शायद ही ऐसा कोई बैंक हो जो अगाहे बगाहे लिंक फेल की समस्या से नही जुझता हो , ऐसी स्थिति में बैक के अपने काम तो रूक ही जाते है, उपभोक्ताओं को भी काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है , हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती होगी, बिजली और पानी की भी प्रयाप्त उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है , भारत में निरक्षरता भी एक बड़ी समस्या है ऐसी में निरक्षर और कम पढे लिखे लोग जो आज भी इंटरनेट इस्तेमाल नहीं करते उन्हें इन सुविधाओं का इस्तेमाल के तरीके समझाना भी एक बड़ी चुनौती होगी ,
लेकिन इन सब से उपर और अधिक महत्वपूर्ण है , केन्द्र और राज्य सरकारों का साथ कंधे से कंधे मिला कर परस्पर राजनीति को दूर रख चयनित शहर के विकास हेतु किसी पूर्वाग्रह के बिना काम करना और उससे भी अधिक आम नागरिक की विस्तृत मानसिकता की आवश्यकता है , जब तक नागरिक अपनी मानसिकता को बदल सिर्फ अपने घर ही नही समस्त शहर को अपना नहीं समझेंगे , स्वच्छता , पर्यावरण संरक्षण और प्रदुषण जैसी समस्याओं को दूर करना मुश्किल ही नही नामुमकिन हो जाएगा , अतः स्मार्ट सिटी के सपने को साकार करने के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और आम नागरिक को इसके विकास की दिशा में सोचना और अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना होगा , ऐसे में कहना गलत नही होगा कि ” अदभुत है स्मार्ट सिटी की सोच मगर मुश्किल है डगर ”
अमित कु अम्बष्ट ” आमिली ”