कविता

अपनी बनाता हूँ

जितना भूलने की कोशिश करता हूँ
उतना ही अपनी यादों में पाता हूँ
बता क्या करूं..कैसे जियूँ
मैं तो तेरी सूरत से भी नफरत करना चाहता हूँ
फिर क्यों अपनी हर सांस में
सिर्फ तेरा ही नाम पाता हूँ
मेरे इर्द गिर्द बहती हवाओं में
तेरी ही महक पाता हूँ
प्रकृति के संगीत में
तेरी ही चहक पाता हूँ
बता कैसे जाऊं दूर तुझसे
मैं तो हर दूरी पर
तुझे ही खड़ा पाता हूँ
माना बिछड़ना होगी किस्मत हमारी
बिछड़कर भी कोन सा चैन पाता हूँ
तू वहां.. मैं यहां
फिर भी ये मोहब्बत बेइंतेहा
इस जन्म की बात क्या
मै तो जन्म जन्म
सिर्फ तुझे..सिर्फ तुझे.. सिर्फ तुझे
अपनी बनाता हूँ
अपनी बनाता हूँ
#महेश

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]