मुक्तक/दोहा “मुक्तक” *महातम मिश्र 09/12/2016 मुक्तक, मात्रा भार- 22 पुष्प कोमल किताबों में रखने लगी ऋतु हवा ये दीवानी खत पढ़ने लगी ये पंखुड़ी उड़ चली लग गुलाबी पवन झूमे रबी की फसल दिल हरने लगी॥ महतम मिश्र, गौतम गोरखपुरी