कविता

कविता : झूठा वादा

रिश्ता निभाया मैंने , पर कमी कोई रही होगी
किया जिससे प्यार , शायद वही प्यासी होगी

छोड़गए तुम मूजको , पर नयनों से नही हटेंगे
कैसे दूर रहू मैं उनसे , जिस नयनन मे बसे रहेंगे

सूखे सब आँसू भी , पलकों तक आते आते
ख़ैर जाना ही था तो , कह कर ही चले जाते

पूनम की रात भी , गुज़री अमावस सी रात
याद आते है वो पल , जो बिताए हमने साथ

जीवन के राह में अब , एक नया दौर है आया
वादों को सब भुलाकर , दावों का दौर है छाया

झूठे वादों से बहेतर , झुटा प्यार का अहेसास
दोस्ती होगई झुट से , टूटा सच्च पर विश्वास

अहेसान हुआ तुम्हारा , जो प्यार भरा दर्द दिया
मेरे नयनों को तुमने , आँसू का समंदर बना दिया

ज़िंदगी को मुझसे , न जाने क्या हुई तकलीफ
प्यार भरे दामन में , हुआ सिर्फ़ दर्द का इज़ाफ़ा

आज सोचता हु शायद , की मेरा प्रेम अधूरा है
पर उम्मीदों से भर पुर , मेरा विश्वास अधूरा है

प्रत्येक शब्द इस कविता , में विरह गीत लिखेगा
हर पंक्ति इस कविता की , “राज” दर्द के कहेगा
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✍?️.. राज मालपाणी
शोरापुर – कर्नाटक

राज मालपाणी ’राज’

नाम : राज मालपाणी जन्म : २५ / ०५ / १९७३ वृत्ति : व्यवसाय (टेक्स्टायल) मूल निवास : जोधपुर (राजस्थान) वर्तमान निवास : मालपाणी हाउस जैलाल स्ट्रीट,५-१-७३,शोरापुर-५८५२२४ यादगिरी ज़िल्हा ( कर्नाटक ) रूचि : पढ़ना, लिखना, गाने सुनना ईमेल : [email protected] मोबाइल : 8792 143 143