लघुकथा : रैगिंग
कॉलेज कैम्पस में घुसते ही वहां का नजारा देख दामिनी की गुस्से से दोनों मुटठीयां भींच गई। कुछ मनचले, बिगड़ैल सीनियर रैंगिग जैसा घिनौना काम कर रहे थे।
“आइये. आइये होने बाली नई डाक्टर मिस….. जरा introduction दीजिए।”
“क्यो.. तुमको क्यो दू, यहां कोई मैरिज ब्यूरो चल रहा है?” दामिनी बोली
“चलिये यही सही,,, हम तैयार है न….. यहीं शादी यहीं…” इससे पहले सीनियर छात्र आगे कुछ कहता.. “शटअप” दामिनी बोली
“वाह क्या तेवर है…….. अब तो शुद्ध परिचय के साथ यहां साइन भी करना पडेगा,….सारे लडके अपने गालों पर हाथ फेर कर ठहाका लगाने लगे…..”
“क्यो पंगा ले रही हो,,,, मान ले इनकी बात वरना एक रात मुर्दा घर मे गुजारनी होगी” एक लडकी बोली
लेकिन इससे पहले कि वे कुछ सोचते, तभी दामिनी बिजली की फुर्ती से पलटी और जो चार लडके उसको घेरे हंस रहे थे अपने टूटे हुए दो दो दांत के साथ चारों खाने चित्त पडे थे।
“मैं दीपक दामिनी शर्मा… ब्लैक बेल्ट.. रायगढ़ एम बी बी एस फर्स्ट ईयर”
दीपक नाम सुनकर सन्नाटा छा गया, ये वही लडका था जिसने रैगिंग से तंग आकर पिछले साल सुसाइड कर लिया था।
दामिनी की आँखें क्रोध से लाल हो रही थी… “भाई था बो मेरा…..” दामिनी की चीख पूरे कैम्पस मे गूंज रही थीं।
— रजनी विलगैयां