कविता

स्मृति

याद है तुमने कहा था ,
सदा संभाल कर रखना
मेरी सुर्ख़ मोहब्बत को …
अपनी ज़िल्दों के बीच…
जब जब पलटोगी पन्ना ,
अपनी यादों की खुशबू से…
महकाऊँगा सुवासित करूँगा..

मैंने भी तो मान लिया था…

तुम्हारे स्नेहिल अनुग्रह को ,
और कच्चे कागजों को छोड़,

सहेज़ लिया था ,तुम्हें क़ल्ब में…
जहाँ वह न सूख सकता था..
न ही कभी मुरझा सकता था …
आओ, देखो न ..प्रिय ,
आज भी वह हर धड़कन के साथ
मेरी साँसों को महका रहा है …
मेरे रोम रोम को हर्षा रहा है ..
तुम्हारी करीब न होने पर भी
होने का अहसास करा रहा है …

— शशि बंसल

शशि बंसल

पद - हिन्दी व्याख्याता शिक्षा - बी एस सी , एम ए ( हिन्दी , समाज शास्त्र ), बी एड रूचि - पढ़ना , लिखना , पुराना संगीत सुनना । पति - राजेश बंसल व्यवसाय - ओनर ऑफ़ दवा कंपनी बेटा - एक ( अध्यनरत ) पता - j -61, गोकुलधाम , सेंट्रल जेल के सामने mims रोड , करोंद बायपास, बढ़वाई भोपाल - 462038 मो. - 7697045571