कविता

नोट बदली

सिंघासन का साथ निभाना , माना कवि का ये कर्म नहीं
लेकिन क्या सच्चाई लिखना ,कह दो कवि का ये धर्म नहीं

मुझे तालियां नहीं चाहिये , ना ही पैसो पर बिकता हूँ
कोई दाद नहीं दे तो क्या , मैं तो सच्चाई लिखता हूँ।

अभिमन्यू ना बनने देंगे , माटी देंगे शोणित से सींच
अरिवध को नर इंद्र चलो तुम , हम सब बन जाएंगे दधीच

हे भारत भू के रखवारे, तुम आम जनो के हो प्यारे
ये निर्णय अद्भुत लिया गया , है साथ तुम्हारे हम सारे

ये कदम सही है मोदी जी ,जो सख्त लगे तो सख्त सही
हम तो खुश है तुम से सारे , अब भक्त कहे तो भक्त सही

वोट बैंक की खातिर हमने ,होते देखा है दंगा भी
इस कारण आधा भारत है ,अब भी तो भूखा नंगा भी

कोई जातो में बाँट रहा ,कोई बांटे है पंथों में
हर कोई खोट निकाल रहा , है हर धर्मो के ग्रंथों में

मंदिर के भजनों ने बोला , मस्जिद से गुरुद्वारों से
आओ मिल कर देश बचाले , इन चोरो से गद्दारो से

है देश बदलने वाला अब , आओ सब मिल कर जश्न करे
सब साथ निभाओ तो पहले , फिर चाहे खुल कर प्रश्न करे

सत्तर सालो से भारत को , लूटा है कुछ गद्दारो ने
अब देश बदलने की खातिर ,हम खड़े हुए है कतारों में

इक और क्रान्ति होगी पर ,इसमें बहना कोई रक्त नहीं
हम तो खुश है तुम से सारे , अब भक्त कहे तो भक्त सही

मनोज”मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.