कविता

हमारा देश

सबसे प्यारा देश हमारा
नहीं कोई दूजा है
कल-कल करती नदियां यहां
रंग बिरंग के फूल से सजे
प्यारे-प्यारे उपवन है
मिट्टी यहां की उपजाऊ
रहते सभी धन-धान्य से परिपूर्ण
हर बच्चे में देखने को
मिलता एक अलग जोश है
जहां का मस्तक खड़ा हिमालय हो
फिर यहां के लोग क्यों नतमस्तक हो
गंगा की जहां पवित्र जल  हो
वहां के लोग का ह्रदय
क्यों नहीं निर्मल हो
जहां की प्यारी भाषा हिंदी
वहां के लोग क्यों न मृदु भाषी हो
देते हैं सम्मान सभी को
अतिथि को देव समझते है
यहां की बात निराली
कभी न देते किसी को गाली
ऐसा प्यारा देश हमारा
सब देशों से न्यारा है|
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४