मुक्तक
निराशा के समंदर में मत उतरो
शक के दुशाले को कभी मत पहरो
खाक में मिला देती है ये सियासत
नफरत की चिंगारी को हवा मत दो
— साधना अग्निहोत्री
निराशा के समंदर में मत उतरो
शक के दुशाले को कभी मत पहरो
खाक में मिला देती है ये सियासत
नफरत की चिंगारी को हवा मत दो
— साधना अग्निहोत्री