पत्थरबाजों का भी संहार जरूरी है
जब से सेना ने बोला है , मददगार को फाड़ेंगे
पत्थर बाजो को आतंकी ,के जैसे ही मारेंगे
इतना सुनते ही देखा है , सारे दल्ले विचलित है
ऐसे गद्दारो की हरकत, से हम सारे परिचित है
कैसी है ये मंशा उनकी ,कैसी उनकी भाषा है
आतंकी को पालेंगे वो ,लगता ये अभिलाषा है
गिद्धों से नुचवाना खुद को , अब ना ये मजबूरी है
आतंकी के शुभचिंतक का , भी संहार जरूरी है
— मनोज “मोजू”