लघुकथा- इच्छा
वह उन की इकलौती पुत्री थी. दोनों मातापिता अपनेअपने हिसाब से वर चुनना चाहते थे. माता ने कहा , “यह लड़का ठीक रहेगा. इस की सरकारी नौकरी है .अपनी लड़की खुश रहेगी.” पिता ने कहा,”नहींनहीं, यह ठीक नहीं रहेगा. मेरे हाथ में जो फोटो है , यह अच्छा व्यापारी है. खूब पैसे कमाता है. लड़की सुखी रहेगी.” लड़की पास के कमरे में किताब पढ़ रही थी. बहस सुन कर उस का ध्यान भंग हो गया. माता कह रही थी,” मुझे अपनी लड़की के लिए आप के जैसा पति नहीं चाहिए.” पिता कहा कह रहे थे,”नहीं नहीं. जिस लड़के को तुम पसंद कर रही हो, वह हमारी लड़की के लिए उचित नहीं है.” माता ने विरोध किया ,” मुझे अपनी लड़की के भविष्य की चिंता है. उसे तुम जैसा व्यापारी पति नहीं चाहिए जो अपनी पत्नी को सुखदुख में काम ना आ सके. रात दिन व्यापार में ही लगा रहे.”
यह सुन कर लड़की के माथे पर त्यौंरिया चढ़ गई. ये बिना बात आपस में बहस क्यों कर रहे है. इसलिए वह तेजी से कमरे में आ कर बोली, ” कभी आप ने मुझ से पूछा है कि मैं क्या बनना चाहती हूं ? ” दोनों चकित रह गए. एक साथ लड़की का मुंह तांकने लगे. मानो, पूछ रहे हो,” आखिर तुम क्या चाहती हो?” लड़की ने तुरंत कहा,” मेरा लक्ष्य शादी करना नहीं है .” और उस ने अपने हाथ में पकड़ी हुई “मदर टेरेसा” की किताब उन के सामने धीरे से रख दी.