कविता

अनकही बातें

बहुत कुछ कहना होता है तुमसे
पर रह जाती है
कुछ अनकही बातें
जिसे जुबाँ पर
आने नहीं देती मै
कि कहीं , मेरे आँसू मेरी बातें
तुम्हारे फर्ज के आड़े
ना आ जाए
क्यूँकी देशधर्म तो
सर्वोपरि है.
पर जब कभी पाओ
फुर्सत के पल
तो बैठना मेरे संग
कुछ सुनना मेरी
कुछ सुनाना अपनी
और समझना मेरी
वो कुछ अनकही बातें …

रीना मौर्य "मुस्कान"

शिक्षिका मुंबई महाराष्ट्र ईमेल - [email protected] ब्लॉग - mauryareena.blogspot.com