मुक्तक/दोहा

“दोहा”

आया मनवा झूमते, अपने अपने धाम

गंगा जल यमुना जहाँ, वहीं सत्य श्रीराम॥-1

कोई उड़ता ही रहा, ले विमान आकाश

कोई कहे उचित नहीं, बादल बदले प्रकाश॥-2

अपनी अपनी व्यथा है, अपने अपने राग

कहीं प्रेम परिहास है, कहीं पथ्य अनुराग॥-3

मंशा कौशल मानकी, नेकी नियती त्याग

कर्म फलित होता सदा, जाग कलंदर जाग॥-4

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ