देवी
एक जमाना था
दादी-नानी के वर्चस्व का !
जब देवियों की भरमार थी |
जैसे……….
हरकोरी देवी !
बूजी देवी !
सन्तोष देवी !
बरजी देवी !
आज जमाना बदला है !
यह घोर विडम्बना है कि
आज कहीं “देवी” नजर नहीं आती !
नजर आती हैं तो केवल ………
चौहान !
चौधरी !
पांडे !
मिश्रा !
भारद्वाज !
व्यास !
इत्यादि के विविध रूपों में नारी !
आज हर गाँव में
हर शहर में ……
विलुप्त हो चुकी है
” देवी ” !
कुछ शेष भी हैं तो……
वो भी संकटग्रस्त हो चुकी हैं ||
वैसे ठीक भी है !
उन देवियों जितना सामर्थ्य !
उतनी सहनशीलता !
उतना समर्पण और
आलिशान त्याग !!
कुछ भी तो शेष नहीं रहा !
हाँ ! शेष है जिनमें……….
वो जमाने की रीढ़ हैं
प्रेरणास्रोत हैं…………….
एक नई पीढ़ी की !
— डॉ प्रदीप कुमार “दीप”