रात कोठों पर बिता कर देखिये
मैकदों के पास आकर देखिये ।
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।।
वह नई उल्फ़त या नागन है कोई ।
गौर से चिलमन हटाकर देखिये ।।
सर फरोशी की तमन्ना है अगर ।
बेवफा से दिल लगाकर देखिये ।।
आपकी जुल्फें सवंर जायेगी खुद ।
आशिकों के पास जाकर देखिये ।
आस्तीनों में सपोले हैं छुपे ।
हाथ दुश्मन से मिलाकर देखिये ।।
जल न् जाऊं आपके इस इश्क़ में ।
इस तरह मत मुस्कुरा कर देखिये ।।
होश खोने का इरादा है अगर ।
ज़ाम साकी को पिलाकर देखिये ।।
दाग लग जाते हैं दामन पर यहां ।
कुछ तमाशा दूर जाकर देखिये ।।
फिर नशेमन पर गिरी हैं बिजलियाँ ।
बादलों को तिलमिलाकर देखिये ।।
हो रहा वह हुस्न भी नीलाम अब ।
बोलियां ऊंची लगाकर देखिये ।।
चाहते गर लाश जिन्दा देखना ।
रात कोठों पर बिताकर देखिये ।।
–नवीन मणि त्रिपठी