झनकार है
बजे पैर पाजेब झनकार है
तरूणी चले बीच मँझधार है
सजी भौंह के बीच बिन्दी हरी
नयन से किये काम के वार है
घने केश छूते कमर से कंधे
खड़क दामिनी प्रेमियों पर मार है
चले चाल मोहक नटी जब लगे तब
सलोनी हँसी पर मिटे यार है
चतुर औ चपल जब दिखे कामिनी
कवी मुनि जनों पर कलम मार है
मधुर मन्द मुस्काँ खिली होठ पर
दिखे ज्यों भँवर मस्त बाजार है
गरजती दमकती गगन गामिनी सी
अदा पर रिषी चित्त लाचार है