समस्याओ का पिटारा धारा -370 खत्म करने का सही वक्त
बीते मंगलवार कश्मीर के बडगॉव में एक बार फिर एक आतंकवादी जो एक इमारत से सुरक्षाबलो पर गोलियॉ चला रहा था के साथ मुढभेड में कश्मीरी युवाओ द्वारा आंतकवादी को बचाने और उसका समर्थन करते हुऐ कश्मीरी पत्थरबाज युवाओ ने ना सिर्फ भारतीय सुरक्षाबलो पर पत्थर मारे बल्कि सुरक्षाबलो के लिए अभ्रद्र भाषा का भी उपयोग किया अब इस तरह की धटनाये आम होती जा रही है। कश्मीर में लोकल जेहादियो की संख्या तेजी से बढ रही है। जहॉ एक ओर जम्बू-कश्मीर राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार बहुसंख्यको को अल्पसंख्यको को संवैघानिक रूप से प्राप्त सभी हको को अवैध रूप से प्राप्त करा रही है वही दूसरी ओर उसी संविधान को मानने से इनकार करता है क्योकि संविधान की धारा-370 इसके लिए उन्हे एक सुरक्षाकवच देता है धारा 370 को भारत पर थोपने का काम तत्कालिन प्रधानमंत्री नेहरू जी द्वारा किया गया जिसका सत्यापन काग्रेस के 131 वें स्थापना दिवस के दिन ‘’काग्रेस दर्शन’’ पत्रिका में कर पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू को कठधरे में खडा किया गया है, जिसमें सन् 1947 को नेहरू के चीन तिब्बत एवं जम्बू कश्मीर पर लिये गये निर्णयो को तर्कसगत न बताते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि देश के लिए पटेल की सोच नेहरू से कही ज्यादा सही एवं हितकर थी और यदि सी0डब्लू0सी0 से पटेल को नाम वापस लेने के लिये दबाव नही बनाया जाता और सी0डब्लू0सी0 के लिए नेहरू को न चुन कर पटेल को चुना होता तो आज कश्मीर भारत का सही मायने में अभिन्न अंग होता क्योकि धारा 370 भारत और जम्बू कश्मीर को अगल करने का एक ऐसा संविधान का विशेष अनुच्छेद है, जिसके द्वारा रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय को छोडकर अन्य किसी भी भारतीय संविधान के अनुसार लागू कानून को लागू करने हेतु केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन लेना होगा साथ ही कश्मीर का झडा भारतीय झडे से अलग कर दिया गया साथ ही जम्बू कश्मीर के नागरिको के पास दोहरी नागरिकता का प्रावधान किया गया यहा तक कि यदि कोई कश्मीरी लडकी यदि राज्य के बाहर किसी भारतीय से शादी करना चाहे तो उसकी जम्बू कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जायेगी इसके विपरीत यदि वह लडकी पाकिस्तान के किसी युवक से शादी करती है तो उस युवक को जम्बू कश्मीर की नागरिकता भी मिल जाती है साथ ही राज्य में जमीन खरीदने का हक भी जबकि भारत के किसी भी अन्य राज्य के नागरिक को जम्बू कश्मीर में जमीन खरीदने एवं व्यपार करने का हक नही है । क्या इस सबके पश्चात आप ये कह सकते है कि जम्बू कश्मीर भारत का अभिन्न् अंग है एक अखंड भारत में क्या दो झडो की कल्पना भी की जा सकती है यहा तक कि भारत के राष्ट्रपति को अपने ही राष्ट्र के किसी भू भाग में जाने के लिये अनुमति लेनी पडे उसे आप कैसे भारत का हिस्सा कह सकते है। और यह भारत के लिए बहुत शर्म की बात है कि, जब राजा हरिसिंह जो कश्मीर का विलय भारत के साथ करने के लिए पहले से ही तैयार थे, और पटेल जी को अपनी इच्छा से अवगत भी करा चुके थे इन सब बातो को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री नेहरू ने शेख अबदुल्ला को निजाम सौपने के लिए जो उनके परम मित्रो में से थे के लिए एक षंडयत्र के तहत पटेल जी को सी0डब्लू0सी0 से बाहर कर एक ऐसा निर्णय लिया जिसका दुख्द परिणाम कश्मीरी पण्डितो को अपनी जान दे कर चुकाना पडा लगभग 5 लाख कश्मीरी पण्डितो को रातो रात या तो अपना धर बार छोड कर भागना पडा और जो नही भागे उनकी बरबरता के साथ हत्या कर दी गई पुलवामा का वो स्थान जहॉ 24 कश्मीरी पण्डितो की निर्मम हत्या कर दी गई उनकी रूहे आज भी इंसाफ की मांग कर रही है । जब जम्बू कश्मीर से धर्म के आधार पर जबरन भगाये गये अभिनेता या कश्मीरी पण्डित धारा 370 हटाने की मांग करते है तो उनकी मांग राजनैतिक ऐजेडा करार दे दी जाती है। मगर अब समय आ गया है कि, हम धारा 370 खत्म करे समान आचार संहिता लागू करे और आरक्षण जो देश् को दिमक की तरह चाट रहा है उसे खत्म करे।
— हर्ष वर्धन लोहनी