बाल कविता

मेला

आज देखने गए हम मेला
तरह-तरह की दुकान सजी है
और लगा है ठेला 
चाट , पकौड़ी और जलेबी गरम-गरम
मुझको लगा सबसे अच्छा 
बुढ़िया का बाल नरम-नरम
लोग सभी दिखते खूब सजे-धजे
बच्चे – बूढ़े और जवान
कर रहें सब खूब मजे 
लहँगा चोली पहने गुड़िया खुब सुंदर
देख देख सब लोटपोट होते
गजब उछल-कूद करता बंदर
रंग-बिरंगे बत्तियों से सजा
बहुत सुंदर और मजेदार
मेले में आया खूब मजा 
 

रीना मौर्य "मुस्कान"

शिक्षिका मुंबई महाराष्ट्र ईमेल - [email protected] ब्लॉग - mauryareena.blogspot.com