विश्व स्तन पान दिवस
विश्व स्तन पान दिवस १ अगस्त को विश्व भर में मनाया जाता है , इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि माताओ को स्तन पान के लिए जागरूक करना |
स्तन पान ! जी हाँ एक शिशु के ले लिए स्तन पान कितना जरुरी है यह हम और आप सभी जानते हैं , फिर क्या वजह से इस दिन को मनाने की ! सोचा जाए तो कुदरत का कैसा करिश्मा है यह की शिशु को जन्म देते ही माँ के स्तन से दूध निकलने लगता है | मातृत्व का अनुभव सोचो तो कितना अद्भुत सुखद अनुभव है यह |
शिशु के जन्म के साथ ही जो प्रथम दूध माँ पिलाये तो वह बच्चे के लिए लाभ कारी होता है | आप सब कहेंगे ये लो ये भी शुरू हो गई वैज्ञानिक दृष्टिकोण समझाने | जी नहीं मेरा ऐसा कोई आशय नहीं है। मैं यह कहना चाह रही हूँ की माँ और शिशु का रिश्ता तो गर्भधारण से ही शुरू हो जाता है , हम कहते है न छाती से लगाने से क्या होता है ? छाती से लगाने से प्रेम का बीज रोपित होता है , शिशु अपने माँ के दिल के धड़कन को समझता है | स्तन पान से उसकी भूख भी मिटती है और साथ ही माँ के आगोश में खुद को सुरक्षित महसूस करता है | और एक माँ के लिए भी तो यह एक सुखद अनुभव होता है , उसके कलेजे के टुकड़े को कलेजे से लगाना और उसको अपना दूध पिलाना। पर सवाल यह उठता है , आज तो हम सभी पढ़े लिखे लोग है , क्या हम नहीं समझते यह सब ?
देखा जाए तो आज की तेज़ रफ़्तार वाली ज़िन्दगी में हम महिलाये भी क्या क्या करें ? कई महिलों से सुनते है कि स्तन पान से अपने शरीर का आकार बदल जायेगा , कोई कहता है आज कल बच्चों को पैदा करना तो आसान है पर उनकी परवरिश करना बड़ा मुश्किल | घर देखना है , नौकरी करनी है , सोशल लाइफ भी होती है , और फिर शरीर में ताकत कहाँ बचती है जो बच्चे को दूध भी पिलाये |
दलील यह भी होती है कि पहले कि महिलाओं को नौकरी नहीं करनी पड़ती थी , उनको दिन भर घर में ही तो रहना होता था , तो उनके पास समय ही समय था | पर क्या वास्तव में ऐसा था , ज़रा पीछे मुड़कर देखें ,कुंवे से पानी भरना , हाथो से गेहूं पीसना , चूल्हे पर रसोई बनाने से लेकर बर्तन मांजना , कपडे धोना सभी तो खुद करती थी , उस दौरान आज के जैसे आधुनिक उपकरण तो थे ही नहीं , न ही कोई झूला घर हुआ करता था , तो क्या वे कभी बीमार नहीं होतीं थी , क्या उनकी कोई सोशल लाइफ नहीं होती थी , क्या उनकी पर्सनल लाइफ नहीं थी ? फिर आज क्या हो गया है ? क्या वे माताए ऐलियंस थी , क्या उनका मन अलग था | क्या वे फिगर कौन्सियस नहीं थी , क्या आपको आपकी माँ ने दूध नहीं पिलाया था ?
यह आखिर हम क्या सोच रहे हैं , पढ़े लिखें है सब समझ रहें है ,फिर भी गलतियां करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं | स्तन पान कराकर तो देखें , यह तो ईश्वर कि वह दैन है जो सिर्फ और सिर्फ एक औरत को ही बक्शी गयी है |
एक बीज को अंकुरित होने के लिए , पानी और पौस्टिक खाद की जरुरत होती है साथ ही शुद्ध और उपजाऊ मिट्टी की | आप अपने में झाँक कर देखें , अपने अंदर की मातृत्व को जगाएं | स्तन पान का सुख लें और अपने शिशु को अपना ही दूध पिलायें जब तक की वह खुद से खाने पिने नहीं लगता |
आप बहुत सारी बिमारियों से खुद को और अपने शिशु को बचासकती हैं | और अपने कलेजे के टुकड़े की अंतर आत्मा से खुद को जोड़ सकती हैं |
बच्चा पैदा करने से ही आप माँ नहीं बनती , माँ बनना तभी सार्थक होता है जब आप स्तन पान कराती हैं आप पूर्ण रूप से तभी माँ कहलाएंगी। जब कुदरत ने हमें और सिर्फ हमें यह वरदान दिया है तो हम अपना यह अधिकार खुद क्यों खोना चाहतीं है | हम और आप ने भी अपनी माँ का स्तन पान किया है , यह दिवस एक दिन का नहीं हर दिन का है ,आओ मिलकर स्तन पान के सुख का अनुभव करें और खुद को धन्य करें |
— कल्पना भट्ट