बेटी
बेटियों का जीवन कहीं
आँगन की तुलसी की तरह
होता है
जिसे रोज सींचा जाता है
पूज्य माना जाता है
बेटियों का जीवन कहीं
वीरान जगह पर लगे
पेड़ की तरह होता है
जिसे गर्मी की लपटें
ठंडी के थपेड़े
मूसलाधार बारिश
सब कुछ सहन करना
पड़ता है
जो बेटियों को आँगन की
तुलसी की तरह
मानता है
उसका ही आँगन महकता है
जो बेटियों को वीरान
जंगल के पेड़ की तरह
समझता है
उसके आँगन में
पतझड़ के पत्ते ही
आते हैं
– नवीन कुमार जैन