कविता

राम

राम से ही ये सागर अम्बर , राम से ये संसार है

राम हमारी जीवन शैली , राम ही तो संस्कार है

राम हमारे उद्गम है वो , ब्रह्म ज्ञान है ज्योत है

राम हमारे इस जीवन के , कर्म ज्ञान का स्त्रोत है

राम हमारे परमेश्वर है , योगेश्वर , परमात्मा है

राम हमारा पंचतत्व है , राम हमारी आत्मा है

राम हमारे जीवन दाता , राम हमारी श्वांस है

राम हमारा निश्चय है औ ,राम नाम विश्वास है

राम हमारे जीने का आधार हमारा जीवन है

राम नाम है अटल सत्य और राम ही तो संजीवन है

राम नाम प्रत्यक्ष धरा पे सत्य है और ज्वलंत है

राम धरा पे सर्व व्याप्त है राम नाम अनंत है

राम हवा है राम धरा है नभ है सूर्य है पानी है

राम को जो भी मिथ्या कहता परम मुर्ख अज्ञानी है

राम नाम के बिना ये मानो जीवन ही बेकार है

राम से ही ये सागर अम्बर , राम से ये संसार है

मनोज”मोजू “

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.