मंजिल तक पहुँचो
एक दरवाजा बंद हो जाए
तुम्हारी कामयाबी का और
खिड़की भी न खुले कोई
तो यूँ ही कैद न रहो कमरे में
या तो तोड़ दो बंद दरवाजा
और पहुँचो अपनी मंजिल तक
या कर दो छेद दीवारों में
लोग तो आसमान में भी
सुराख की बात करते हैं
अपनी मंजिल तक पहुँचो
कैसे भी कुछ भी करके
और करना क्या है ! परिश्रम
कर्मवीर बनो शिखर छुओ
– नवीन कुमार जैन