जंगल में सर्दी-बाल कविता
थर थर कांपे हाथी दादा,
कांपे खूब बंदर।
ठंडी ठंडी हवा चली है,
शीत वन के अंदर।
शेर राजा दुबके मांद में,
ठंड से परेशान।
भालू, लोमड़ी, हिरण सबकी,
आफत में है जान।
बोले ना कोयल कूं कूं कूं,
कौवा करे न कांय।
सर्द हवाएं आती-जाती,
सभी कंपकपाए।
सांप, गीदड़, खरगोश, गैंडा,
भागते इधर-उधर।
क्या करें, नहीं करें, सोचे,
जंगल के जानवर।