राजनीति

यूरोप का भव्य भ्रम

जब कोई इन्सान कमजोर होने के बावजूद जब खुद को ताकतवर समझने लगे तो मनोविज्ञान में इसे भव्य भ्रम का शिकार कहा जाता है। एक ऐसे ही रोग का शिकार आज यूरोपीय देश दिखाई देते हैं। कहा जा रहा है कि अगले 30 या 40 साल की बड़ी खबर इस प्रकार होगी कि यूरोपीय आबादी लुप्त हो गयी, जिनके पूर्वजों ने आधुनिक दुनिया का निर्माण किया था। जिन्होंने कम से कम पांच शताब्दियों के लिए पुराने महाद्वीप की असीम सफलता प्राप्त की है। प्रसिद्ध इतालवी पत्रकार ओरियाना फलासी का दावा है कि यूरोपीय महाद्वीप पर ईसाई धर्म का प्राचीन गढ़ तेजी से इस्लाम को महत्वाकांक्षी और मुखरता का रास्ता दे रहा है। वे साथ ही एक डरा हुआ मासूम सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या इस्लाम यूरोप को जीत जाएगा?

निःसंदेह अगले 10 वर्ष विश्व सभ्यता के परिवर्तन में निर्णायक सिद्ध होंगे। होगा क्या अभी महज परिकल्पना सिर्फ इतनी है कि यदि आज यूरोपीय समुदाय अपनी विज्ञान की ताकत के भव्य भ्रम में डटा रहा तो भविष्य में यूरोप में धार्मिक प्रार्थना के गीतों के साथ भूगोल में भी परिवर्तन दिखाई देंगे। हमने आज से दो वर्ष पहले भी आर्य सन्देश में यूरोप के नये धार्मिक समीकरण पर प्रकाश डालते हुए लिखा था कि स्वदेशी यूरोपवासी नष्ट हो रहे हैं और विदेशी मुस्लिम समाज की संख्या निरंतर बढ़ रही है। किसी जनसंख्या को कायम रखने के लिये आवश्यक है कि महिलाओं का सन्तान धारण करने का औसत 2.1 हो परन्तु पूरे यूरोपीय संघ में यह दर एक तिहाई 1.5 प्रति महिला है और वह भी गिर रही है इसी रिक्त स्थान में इस्लाम और मुसलमान को प्रवेश मिल रहा है जहाँ यूरोपवासी बड़ी आयु में भी कम बच्चे पैदा करते हैं वहीं मुसलमान युवावस्था में ही बड़ी संख्या में सन्तानों को जन्म देते हैं। यदि आज यूरोप के आंकड़ों के नये धार्मिक समीकरण पर नजर डालें तो नई शरणार्थी नीति जोकि उदारवादी नीति के बाद फ्रांस में इस्लाम मत को मानने वालों की संख्या 20% जर्मनी 14% ब्रिटेन 18% स्वीडन 20%नीदरलैंड 10% और बेल्जियम 15% से ज्यादा आंकी जा रही है। विश्लेषकों का अनुमान है कि ब्रिटेन में, इस्लामी मस्जिदों ने चर्च ऑफ इंग्लैंड से प्रत्येक हफ्ते में अधिक लोगों की मेजबानी की है! पारम्परिक ईसाई धर्म के शून्य को भरना यूरोप में एक मजबूत, ऊर्जावान और युवा आंदोलन की जरूरत है। यदि यह वर्तमान प्रजनन दर पर जारी रही तो  यूरोपीय लोग पिछले समय की गुजरी सभ्यता के रूप में दिखाई देंगे।

जब ऐसा होगा तो भव्य चर्च पुरानी सभ्यता के अवशेष बनकर रह जायंगे यह भी हो सकता है कि सउदी शैली का प्रशासन उसे मस्जिद में न परिवर्तित कर दे या तालिबान जैसा प्रशासन उसे उड़ा न दे? यूरोप के कुछ विश्लेषक आज इस पर चिन्ता जाहिर कर सवाल उठा रहे हैं कि क्या भविष्य में वेटिकन मक्का का आदेश मानने को बाध्य होगा? क्योंकि आज शरणार्थी आव्रजन की अनुमति के द्वारा यूरोप उदारवाद की चादर से अपने अंतिम संस्कार को ढ़ंक रहा है? पिछले दिनों इजरायल की विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस्लाम अब यूरोप में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश यूरोपीय संघ के राष्ट्र कट्टरपंथी मुसलमानों की मौजूदगी को राज्य की सुरक्षा और अपने जीवन जीने के ढंग के लिए खतरा मानते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘जनसांख्यिकीय आंकड़ों के मुताबिक, उच्च जन्म दर और निरंतर सामूहिक अप्रवासीकरण के कारण मुस्लिमों की संख्या निरन्तर बढ़ती रहेगी। इसका मतलब यह है कि इस तरह की बढ़ोत्तरी भविष्य में यूरोप के आकार पर एक काली परछाई दिखाई देगी।

कई सदियों तक, मुस्लिम, जो यूरोप के ईसाईयों में एक थे, ने अपने धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरे पैदा किया थे। अब दोनों पक्ष, एक दूसरे के धर्म प्रचार में दूसरे को प्रतिद्वंद्वी मानते हैं! इस्लाम और ईसाई धर्म दोनों के द्वारा दो धर्मों ने मानव जाति की निष्ठा पर ऐसे सार्वभौमिक दावे किए हैं, जिनमें एक के बीच दूसरा खुद को ‘‘कैदी’’ मानता है। इसी कारण वर्तमान घृणा अब इन दोनों संस्कृतयों के बीच में जोरो पर है।

सदियों से, यूरोप में एक समानता है, जो सभी लोगों को अलग-अलग भाषाएं बोलने से एकजुट करती रही है। यही आम तत्व उनकी ईसाई विरासत थी। इस सामान्य धार्मिक विरासत में एक दिलचस्प अतीत है जिसे इन्कार नहीं किया जा सकता। लेकिन अब यूरोप कितना जल्दी इस्लामत हो रहा है? इतनी जल्दी है कि यहां तक कि इतिहासकार बर्नार्ड लुईस ने जर्मन अखबार डाइ वेलेट को स्पष्ट रूप से बताया था कि सदी के अंत तक यूरोप इस्लामी हो जाएगा। इसका मतलब है कि यदि वर्तमान रुझान जारी है, तो सदी के अंत तक मुसलमानों की संख्या ईसाइयों की संख्या से अधिक होने का अनुमान है।

शोधकर्ताओं का एक झुण्ड इसका कारण गिनाते हुए कहता है कि 2016 में, पूरे यूरोप में मुसलमानों की औसत उम्र 30.4 थी, अन्य यूरोपीय लोगों (43.8) के लिए औसत से 13 साल कम थी। इसे दूसरे तरीके से देखते हुए, यूरोप के सभी मुस्लिमों में से 50 फीसदी 30 साल से कम उम्र के हैं,  इसके अलावा, यूरोप में औसत मुस्लिम महिला की प्रजनन दर 2.6 बच्चों की है, और गैर मुस्लिम महिला ;1.6 बच्चोंद्ध पर टिकी है। यानि एक मुस्लिम महिला की प्रजनन दर लक्ष्य पर केन्द्रित है तो वहीं गैर मुस्लिम प्रजनन की स्वभाविक प्रक्रिया के विरोध में खड़ी दिखाई देती है। यूरोप भर में, आने वाले मुस्लिम बहुमत के संकेत हैं। बेल्जियम के बंदरगाह शहर एंटवर्प में मुसलमानों में लगभग 50 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालय हैं बु्रसेल्स की एक चौथाई जनसंख्या मुस्लिम मूल की हो चुकी है। शायद अब दुनिया इंतजार में है कि कौन सा यूरोपीय देश इस्लामी शासन में पहले आएगा या फिर यूरोप में पहले मुस्लिम राष्ट्र का निर्माण किस इस्लामी शब्द के नाम पर होगा?

राजीव चौधरी

राजीव चौधरी

स्वतन्त्र लेखन के साथ उपन्यास लिखना, दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स के लिए ब्लॉग लिखना