” ————————— लहर लहर जाती है ” !!
मौन भाव हैं हृदय हमारे , लाज ठहर जाती है !
गाँव की पगडंडी से यादें , दौड़ शहर जाती हैं !!
अब मुंडेर कागा ना बोले , हवा में हैं सन्देशे !
अधरों पर मुस्कानें जैसे , फहर फहर जाती है !!
छेड़छाड़ ना सखियों की हैं ,छेड़े तेरे तराने !
तन्हाई में छेड़ तेरी वह , लहर लहर जाती है !!
अमराई की छांव में झूले , आज कहाँ पड़ते हैं !
बदली बदली हवा यहां की , डगर डगर जाती है !!
खपरैलों से छनकर आती , धूप न मिले यहां है !
हर आँगन में खुशहाली पर , संवर संवर जाती है !!
भाग दौड़ ना आपा धापी , जीवन सरल सहज है !
शहरों की चमकीली रातें , नहीं नज़र आती हैं !!
चमक दमक से दूर खड़े हैं , बाहर भीतर सच है !
यहां जिंदगी धूप सी खिलती , ठहर ठहर जाती है !!
पैमाने सच के कायम हैं , अर्थ ना आड़े आता !
यहां रिवाजों में अल्हड़ता , गहर गहर जाती है !!