शुक्र है खुदा का,,,,
शुक्र है खुदा का जो वो खुदाई दे गया
एक बेवफा को ही तो वो बेवफाई दे गया
फुट फुट के रोया है वो आज छुप छुप
फिर भी उसका गम वो सुनाई दे गया
जिसने तोहमत लगाई मोहब्बत में मेरी
आज उसकी चाहत को वो विदाई दे गया
किया था किनारा जिसने पलको से मेरी
नजरो को उसकी सदा वो जुदाई दे गया
तोड़ के खुशियाँ हमने खुद महफ़िल सजाई
जिसकी उसे हर गम तो वो हरजाई दे गया
भीगें ना हो अश्क गम में जिसके कभी
आखों में सितम उसकी वो दिखाई दे गया
पागल सा समझती थी जो इश्क को मेरे
दर्द से तड़पती उसे तो वो तन्हाई दे गया
छुवा ना हो जिसे मैंने तिरछी निगाहों से
कुवारें में ही उसे गोद वो भराई दे गया
— संदीप चतुर्वेदी “संघर्ष”
13/03/2018