राजनीति

जयचंदी मानसिकता हमारी सबसे बड़ी शत्रु है

जयचंद का नाम आप सभी ने सुना होगा। पृथ्वीराज चौहान को हराने के लिए उसने मुहम्मद गौरी का साथ दिया था। उस काल के देशभक्त लोगों ने जयचंद को समझाया कि जयचंद आगे मलेच्छ गौरी भारत पर आक्रमण करेगा तो लाखों गौ कटेगी, हज़ारों हिन्दू स्त्रियों का चीरहरण होगा, मंदिर-गुरुकुल तोड़े जायेंगे , अनेकों को जबरन मुसलमान बनाया जायेगा। सोच लो। जयचंद ने उत्तर दिया। चाहे कुछ भी हो जाये मैं केवल और केवल पृथ्वीराज की बर्बादी चाहता हूँ।  सभी पाठकों को यह इतिहास मालूम है कि गौरी आया और पृथ्वीराज हारा। हमारे देश को जयचंद की उस गलती ने बर्बाद कर दिया।
रह रहकर यही जयचंदी मानसिकता हमारे देश को आज भी बर्बाद करने पर तुली हुई है।  यह जयचंद आज कौन है? ये वही है जिन्हें कश्मीरी पंडितों का विस्थापन कभी नहीं दीखता और अलगाव-वाद को समर्थन करना इनका जन्मसिद्ध अधिकार है। ये वही है जो पाकिस्तान समर्थक खालिस्तानियों का समर्थन करते है और हिन्दुओं को पंजाब से निकालने की बात करते है।  ये वही है जो देश भर में धरल्ले से हो रही गौहत्या पर आंख मूंद लेते है।  मगर अगर किसी गौतस्कर को सरेआम दंड दे दिया जाये,तो मानवाधिकार का मुद्दा उठाकर उनका विरोध करते है।  ये वही है जो रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बसाने का समर्थन करते है। मगर पाकिस्तान से आये हुए पीड़ित हिन्दुओं के लिए कभी दो शब्द भी समर्थन में नहीं कहते। ये वही लोग है. जो बंगाल में दुर्गा पूजा पर मूर्ति विसर्जन का विरोध करते है मगर जुम्मे की नमाज के लिए शुक्रवार को सरकारी छुट्टी देने का समर्थन करते हैं। वे वही लोग है जो लव जिहाद को केवल जुमला बताते है और हिन्दुओं की लड़कियों को भगाने वालों को क़ानूनी रूप से संरक्षण देते है। ये वही लोग है जो देश भर में हो रहे ईसाई धर्मान्तरण को मिशनरियों का जन्मसिद्ध अधिकार बताते है और घरवापसी को धार्मिक स्वतंत्रता पर कुठाराघात बताते है । ये वही लोग है जो नक्सलियों द्वारा वनवासी क्षेत्र में सैनिकों को मारे जाने पर ख़ुशी जताते है। ये वही लोग है जो JNU में भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह इंशाल्लाह के नारे लगाते है।  ये वही लोग है जो असम से बंगलादेशी अवैध मुसलमानों को निकालने का पुरजोर विरोध करते है।  ये वही लोग है जो देश को समृद्ध बनाने के लिए इजराइल से आधुनिक तकनीक लेने का विरोध करते है और फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाते है।  ये वही लोग है जो हर वर्ष वाघा सीमा पर जाकर मोमबत्ती जलाते है मगर पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर कभी कुछ नहीं बोलते। ये वही लोग है जो दक्षिण भारत में हिंदी विरोध के नाम पर देश को तोड़ने वाली ताकतों का समर्थन करते है।  ये वही लोग है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिन्दू देवी देवताओं के अश्लील चित्र बनाने है, बीफ फेस्टिवल बनाने है, महिषासुर बलिदान दिवस बनाने है और आर्यों को विदेशी बताते है।  ये वही लोग है जो आतंकवादी याकूब मेनन की फांसी की सजा रोकने के लिए रात में सुप्रीम कोर्ट खुलवाते है। ये वही लोग है जो हवन यज्ञ एवं दाह संस्कार को प्रदुषण बताते हैं। ये वही लोग है जिन्हें हिन्दू धर्म से सम्बंधित हर धार्मिक कर्मकांड अन्धविश्वास दीखता है।    इन जयचंदों को पहचानों।
SC/ST एक्ट में भारत बंद करना और हिंसा करना तो केवल बहाना हैं। असली उद्देश्य तो इस देश की स्थिर सरकार को कमजोर कर येन-केन प्रकारेण सत्ता को हासिल करना हैं। यह कार्य यही जयचंद कर रहे है। धार्मिक ग्रंथों में सुर-असुर संग्राम का वर्णन मिलता है। यही संग्राम आदिकाल से चलता आया है। यही जयचंदी मानसिकता आधुनिक असुर है। इसी को रोकना सुरों अर्थात देवों का कर्त्तव्य है। SC/ST एक्ट में भारत बंद में हिंसा होने की सम्भावना तो कोई अनाड़ी भी बता देगा। मगर उस हिंसा के प्रतिक्रिया स्वरूप में हिन्दू समाज सवर्ण और दलित में विभाजित हो जाये। और हिन्दू समाज की वोट शक्ति टूट जाये। यही तो जयचंदों का उद्देश्य है। इसलिए अपनी एकता, अपनी शक्ति को संचित करो और लड़ो इस जयचंदी मानसिकता से क्यूंकि यही हमारी सबसे बड़ी शत्रु है।
 हम प्रण ले की हम अपनी सामाजिक एकता को जातिवाद के चलते इन जयचंदों के षड़यंत्र की भेंट नहीं चढ़ने देंगे।
डॉ विवेक आर्य
(सलंग्न चित्र- भीम आर्मी के नाम पर हिंसा में शामिल ७२-हूर कामी शांतिप्रिय कौम के कुछ शांतिप्रिय सदस्य)