गीतिका/ग़ज़ल

बचपन

न हँसने की वज़ह थी, 

न रोने का बहाना था। 

सच में चंचल बचपन,  

हर ग़म से बेगाना था। 

गर्मी सर्दी हो बारिश हो, 

घर में कहाँ ठिकाना था। 

हर कोई उठा लेता गोद में, 

सारा आलम दीवाना था। 

आज भागता हूँ जमाने के पीछे, 

कभी मेरे पैरों तले जमाना था।

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]