सैनिक
सीमा पर प्रहरी बनकर।
भारत माँ की रक्षा करते।।
शीत ताप वर्षा भी सहते।
मातृभूमि का मान बढ़ाते।।
वर्दी में तैनात सदा रहकर।
माँ भारती की लाज बचाते।।
तिरंगा मन में ये बसाकर।
सीना ताने आगे बढ़ जाते।।
दुश्मन के खट्टे दाँत करते।
पीठ कभी न ये दिखाते।।
कदम बढ़ाते डटकर ये।
हरगिज़ कभी न घबराते।।
वतन के सच्चे सपूत है ये।
देश की ये ही शान बढ़ाते।।
उच्च विचारों से भारत की।
महिमा का ये गान करते।।
वन्दे मातरम के नारों से।
वतन को सदा ही ये गुंजाते।।
— कवि राजेश पुरोहित