जननायक
भारत की माटी के कण-कण में महक तुम्हारी |
जन – जन के कल्याण की जननीति तुम्हारी ||
सदा सुगंधित रहेगी यादों की बगिया प्यारी-प्यारी |
गौरवपूर्ण आस्था संविधान में रही हमेशा तुम्हारी ||
अद्भुत – मनमोहक, शुद्ध – सरल कवि हृदय ‘अटल’ |
माँ भारती के सच्चे सेवक, हिंदी मान बढ़ाया विश्वपटल ||
सत्य, न्याय पथ पर हो निडर आगे बढ़ते चले गये |
निस्वार्थभाव से की जनता की सेवा, जननायक बन गये ||
चढ़ाके पाक की छाती पर सेना, सीमा पर जयघोष किया |
तूफां से लड़ने वाले ‘अटल’ भारतमाँ पे सर्वस्व अर्पण किया ||
करके राजधर्म का निर्वाहन भारतमाता का मान बढ़ाया |
प्रतिबन्धों से बेअसर राजनीति को दागमुक्त बनाया ||
राष्ट्रसाधना प्रथम रही जीवन में जन नायक तुम्हारी |
तुम्हें खोकर हे अटल ! नम आंखें हुईं आज हमारी ||
भारत माता की माटी के कण – कण में महक तुम्हारी |
जब तक सूरज-चाँद रहेगा तब तक पहचान रहे तुम्हारी ||
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा