कविता

कुछ भाव अनकहे से……कविता की कलम से

एक क्यारी
सजाई है एहसासों की
जिसमें
चिर संचित पुण्य हैं
जन्मों – जनम के…..

एक माला
पिरोई है गुनगुनाहट की
जिसमें
लय और धुन है
बजती घंटियां ज्यों
मंदिर में….

एक जिंदगी
बसाई है
तेरे ही ख्यालों की
जिसमें
इबादत ही इबादत है
जैसे परमेश्वर की….

एक पाती
लिखी है
तेरे नाम की
जिसमें अक्षर भी तुम
मात्राएं भी तुम
वाक्य भी तुम
और व्याकरण भी तुम….

आओ गढ़ो एक कविता,
दे दो ख्यालों को आकार,
छू दो घंटियां गुनगुनाहट
को दे दो आवाज,
कर दो ना पुण्यों को फलीभूत….

कविता सिंह

पति - श्री योगेश सिंह माता - श्रीमति कलावती सिंह पिता - श्री शैलेन्द्र सिंह जन्मतिथि - 2 जुलाई शिक्षा - एम. ए. हिंदी एवं राजनीति विज्ञान, बी. एड. व्यवसाय - डायरेक्टर ( समीक्षा कोचिंग) अभिरूचि - शिक्षण, लेखन एव समाज सेवा संयोजन - बनारसिया mail id : [email protected]