गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

मापनी, 2122 1212 22/112, समान्त- आर, पदांत- करते हैं
“गीतिका”

याद कर सब पुकार करते हैं
जान कर कह दुलार करते है
देखकर याद फ़िकर को आयी
दूर रहकर फुहार करते है ।।

गैर होकर दरद दिया होगा
ख़ास बनकर सवार करते हैं।।

मानते भी रहे जिगर अपना
धैर्य निस्बत निहार करते है।।

लौट आने लगी हँसी मुँहपर
मौन महफ़िल शुमार करते हैं।।

होश में आ रहा लगा मतलब
भौंह को तर करार करते हैं।।

ख्याल आया कभी कहो गौतम
प्यार कर क्यों हजार करते हैं।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ