भारत के प्रधानमंत्री का महत्व
भारत देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है यहाँ पर सभी धर्म , सभी भाषाओं की जातियां निवास करती है अंदर सभी को अपने अपने स्वतंत्र अधिकार प्राप्त है क्योकि यहाँ अनेकता में एकता के स्तंभ खड़े हुए हैं हमारे देश में इन सभी वर्गों को एकता के बिना सम्भालना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है इसलिये हमारे देश के लोकतंत्र को दो भागों में विभाजित कर दिया एक पूंजीवादी तथा दूसरा समाजवादी वर्ग , फिर दोनों वर्गों को बराबर बराबर मिलाकर तीसरा वर्ग बनाया जो दोनों वर्गों के समिश्रण बना हो ताकि सभी की जरूरतों को पूरा किया जा सके । आज भी हमारा देश पुरानी परंपराओं का अनुसरण करता चला जा रहा है पूंजीवादी वर्ग पूंजीवादी ही बना है तथा श्रमिक वर्ग अपनी जरूरतों को श्रम के सहारे ही पूरा कर पाता है ।
लेकिन जबसे हमारे देश में आधुनिकीकरण हुआ है तब से कहीं न कहीं श्रमिकों का भी पूजीकरण होना शुरू हुआ है और इसी कार्य शैली को पूर्णतया सुचारू रूप से सक्रिय करने के लिये हमारे देश में प्रत्येक पांच वर्षों के बाद चुनाव होते हैं जिनका प्रतिनिधित्व हमारे देश की जनता द्वारा चुने हुये सदस्य करते हैं उन सदस्यों में एक सदस्य सभी सदस्यों का मुखिया होता है जो देश की सारी व्यवस्थाओं को अपने राज्य तथा जिले के प्रतिनिधियों की सहायता से जनकल्याणकारी नीति बनाकर देश की जनता को जिंदगी जीने की सभी जरूरतें पूरी करता है तभी तो दुनियां , पारंपरिक काल से आज अपनी बेहतर पैठ बना रही है ।
वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री जिनके कंधे पर पूरे देश की स्वतंत्र जनता की सभी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है उन्होनें “योजना आयोग ” को परिवर्तित करके “नीति आयोग” की स्थापना की(जो स्वतंत्रता के बाद देश मे व्यवस्थाओं को बनाने वाला थिन्क टैंक था) जिसका मुख्य उद्देश्य निचले स्तर की समस्याओ का बड़े स्तर से अध्ययन करना ताकि देश की जनता जिन समस्याओं से जूझ रही है उनका निदान ठीक समय पर सही ढंग से किया जा सके और जनता की सभी जरूरतों को ध्यान मे रखकर जनता के हित के लिये नीति बनायी जा सके ।
जब देश पूर्णतया अंग्रेजों से मुक्त हुआ था तब हमारा देश कंगाली से जूझ रहा था लोगों के पास न रहने के लिये घर , न खाने के लिये भोजन , न पहनने के लिये कपड़े इत्यादि परिस्थितियाँ आ पड़ी थी देश के प्रबुद्धजन नयी व्यवस्था की नयी नींव तैयार कर रहे थे जो हमारे देश के लोगों की सभ्यता तथा संस्कृति को संजोए रखे तथा धीरे – धीरे सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से शुरू किया। वही क्रम आज भी चालू है लेकिन पहले की अपेक्षा आज चुनौतियों का सामना कम करना पड रहा है क्योंकि आज सभी वर्ग तथा जातियां अपने अंधेरे डेरे से निकल कर ग्यानरूपी प्रकाश की मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं और वे अपने आप को स्वयंसेवी बनाकर अपना बोझ स्वयं उठाना चाहते हैं ।
अगर स्वतंत्रता के बाद के भारत की बात करें तो तमाम ऐसी योजनायें चलायी गयी तथा समाज की कतार के अंत वाले व्यक्ति को लाभ दिया गया जो मुख्य धारा से कोसों दूर थे । सबसे पहले कृषि पर विशेष ध्यान दिया गया क्योकि स्वतंत्रता के बाद भुखमरी की आफत आ खड़ी थी फिर उद्योगों, गरीबी निवारण , जंगलों मे रहने वाली जातियों तथा समाज से पिछडी हुई जातियों को प्रत्येक क्षेत्र में छूट प्रदान की गई ताकि ये लोग भी सबके साथ कन्धे पे कन्धा मिलाकर चल सके तभी तो हमारा देश आज इतने मजबूत स्तंभों पर टिका है जैसे जैसे आधुनिकीकरण होता गया वैसे ही हमारा देश भी कदम मिलाकर आगे बढता गया ।
यदि आज से पिछले चार साल की बात करे तो हमारे प्रधानमंत्री जी ने डिजिटल इण्डिया के साथ मिलकर देश को दुनिया के सभी देशों से जोडने का बहुत सराहनीय काम किया जो देश के भविष्य के लिये बहुत ही लाभकारी है डिजटलीकरण द्वारा कोई देश अपने आप को बुलंदी तक पहुँच सकता है तथा नोटबंदी तथा जीएसटी को लाकर तो देश के कचरे की सफाई ही कर दी है जो समाज के कुछ पूंजीपति वर्गों के पास जमा हो गया था इसके प्रभाव से देश के राजस्व मे बढ़ोत्तरी तो हुई है साथ साथ इसी राजस्व के द्वारा हमारे समाज के पिछड़े तबके के लिये जीवन जीने के अनेक साधन प्रदान किये गये है और देश की आन्तरिक तथा बाहरी सुरक्षा को पहले से बेहतर भी किया गया है ताकि दुश्मन अब हमारी तरफ नजर तक न उठा सके । सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने किसानो के लिये अनेक योजनायें लायी तथा सभी किसानो का सशक्तीकरण करने का प्रयास भी किया ताकि किसान खुद अपने पैरों पर खडा होकर कार्य कर सके उन्हें पैसों के लिये किसी साहूकार या अन्य व्यक्ति का दरवाजा न खटखटाना पडे तथा सबसे मुख्य योजना आयुष्मान भारत जिसके प्रभाव से गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज प्रत्येक गरीब से गरीब लोगों के लिये संभव हो सका जो देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है तथा गरीबों को कर्ज से मुक्ति भी मिल गयी ।
इत्यादि योजनायें लाने का मुख्य उद्देश देश के मध्यम वर्ग को सबसे अधिक मजबूत बनाना है ताकि वह व्यक्ति पीछे जाने की बजाय आगे ही बढे और धीरे धीरे अपने आप को पूजीकरण करने की कोशिश करे ताकि कोई भी तबका गरीब न रहे । तभी तो हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा है “सबका साथ सबका विकास
अब न टूटेगी हर किसी की आस “
किसी भी देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिये नीतियों की जरूरत होती है ऐसी नीति जो उच्च स्तर पर तो बने लेकिन लाभ निचले स्तर के लोगों को होना चाहिये । प्रत्येक क्षेत्र में सभी वर्गों को समान अधिकार मिले ताकि गरीब तथा अमीर की खाई को पाटा जा सके । अभी हमारे देश का समाज परंपरागत तौर तरीके अपना रहा है और इसी कारण हमारे देश की संस्कृति तथा सभ्यता वही की वही बनी है देश के प्रत्येक समाज को विकसित करने लिये अच्छी नीतियों की जरूरत है तभी हमारा देश पूर्णतया विकसित हो सकेगा ।