मेरे सँग न कोई चलता अब दोस्तो,
ऐंठी में मीत हर अड़ता अब दोस्तो!
मैं जो उनको बधाई न देता अगर,
उनका भी मुँह नहीं खुलता अब दोस्तो!
जिनकी ख़ातिर हवन हो गई ज़िन्दगी,
उनको जीवन मेरा गड़ता अब दोस्तो!
वह गुज़रते नहीं भूल उस मार्ग से,
जिसमें कि मेरा घर पड़ता अब दोस्तो!
मीत जो था फ़िदा सत्य पर कल ‘सरस’,
वो ही तो झूठ पर मरता अब दोस्तो!
— सतीश तिवारी ‘सरस’