कविता

पतंग

ज़िन्दगी इक पतंग हो तो

चलेगा वह  दूर  तक

टूट गया धाग कहीं पर

तो टूटा  समझो बंधन

तेज़ आंधी जब आए तो

दुष्कर समझो जीवन

लोग, मित्र, माँ -बाप सभी ने

जोड़े है जो रंग बदन पे

भीग जाए तो मेघ के जल से

फिर भी न भूलो उनके नाम

वत्सला सौम्या

वत्सला सौम्या समरकोन

सहायक व्याख्याता, हिन्दी विभाग, कॅलणिय विश्वविद्यालय, श्री लंका। उद्घोषक, श्री लंका ब्रोडकास्टिंग कोपरेशन (रेडियो सिलोन)