गीतिका/ग़ज़ल

महकती-शाम

पहली ही नज़र में, तुमसे प्यार हो गया।
मिलने को बेताब तेरा इंतजार हो गया।

पल_पल राह हम देखते रहे, उनकी,
आँखों में नमी इश्क़ का खुमार हो गया।

मेरे मन के ख्वाबों को पंख लगे इसकदर,
मन में खुशियाँ प्यार बेशुमार हो गया।

मिलने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा,
आज महकती-शाम को दीदार हो गया।

गुलाब की खुशबू से बगियाँ महकने लगी,
पुष्पों का गुलज़ार चमन में बहार हो गया।

✍ सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा

सुमन अग्रवाल "सागरिका"

पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी शिक्षा :-बी. ए. ग्रेजुएशन व्यवसाय :- हाउस वाइफ प्रकाशित रचनाएँ :- अनेक पत्र- पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित। सम्मान :- गीतकार साहित्यिक मंच द्वारा श्रेष्ठ ग़ज़लकार उपाधि से सम्मानित, प्रभा मेरी कलम द्वारा लेखन प्रतियोगिता में उपविजेता, ताज लिटरेचर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, साहित्य सुषमा काव्य स्पंदन द्वारा लेखन प्रतियोगिता में तृतीय स्थान, काव्य सागर द्वारा लेखन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानीकार, साहित्य संगम संस्थान द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, सहित्यपिडिया द्वारा लेखन प्रतियोगिता में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित। आगरा