महकती-शाम
पहली ही नज़र में, तुमसे प्यार हो गया।
मिलने को बेताब तेरा इंतजार हो गया।
पल_पल राह हम देखते रहे, उनकी,
आँखों में नमी इश्क़ का खुमार हो गया।
मेरे मन के ख्वाबों को पंख लगे इसकदर,
मन में खुशियाँ प्यार बेशुमार हो गया।
मिलने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा,
आज महकती-शाम को दीदार हो गया।
गुलाब की खुशबू से बगियाँ महकने लगी,
पुष्पों का गुलज़ार चमन में बहार हो गया।
✍ सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा