गीत/नवगीत

गीत : मैं कल भी मुस्कुराता था

तुम्हारे नर्म अहसासों
को हर पल गुनगुनाता हूँ।
मैं कल भी मुस्कुराता था
मैं अब भी मुस्कुराता हूँ।।
तुम्हारे…

भले हों शूल राहों में
मगर रुकना नहीं सीखा।
किसी कमजर्फ के आगे
कभी झुकना नहीं सीखा।।
मैं गिरता हूँ सँभलता हूँ
कदम आगे बढ़ाता हूँ।
मैं कल भी….

नहीं कमजोर हूँ इतना
कि पल में टूट जाऊँ मैं।
घड़ा भी हूँ नहीं कच्चा
जो गिरकर फूट जाऊँ मैं।।
पुराना टूट जाये तो
नया सपना सजाता हूँ।
मैं कल…

कभी जो साथ रहते थे
वही अब दूर रहते हैं।
महज सच बोलता हूँ तो
सभी मगरूर कहते हैं।।
धरम सच बोलना मेरा
बिना भय के निभाता हूँ।
मैं कल…

नहीं मैं मौन रह सकता
गलत हो गर कहीं कुछ भी।
भले हो सामने कोई
फरक पड़ता नहीं कुछ भी।।
मैं दर्पण दाग चहरों के
भी समता से दिखाता हूँ।
मैं कल…

उत्तम सिंह ‘व्यग्र’