गीतिका/ग़ज़ल

पिता

घर भर की हैं आस पिता।
रहते दिल के पास पिता।।

घेरे सघन अँधेरा जब।
बनते तभी उजास पिता।।

आभा माँ के माथे की।
जीवन में मधुमास पिता।।

कर्म सभी करना ऐसे।
ना हों कभी उदास पिता।।

कंटक चुनते हैं पथ के।
ईश्वर का आभास पिता।।

नेह-प्रेम आशीष फलें।
करते हैं विश्वास पिता।।

कष्ट मौन होकर सहते।
‘अधर’ भरें उल्लास पिता।।

शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com