सेकुलर ताकतों की विकृत मानसिकता का खेल जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा सत्ता में आने के बाद जब से ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के नारे के अनुसार विश्वास बहाली की राजनीति को आगे बढ़ाने का प्रयास शुरू किया है, तब से सेकुलर ताकतों जो मुसलमानों को केवल अपना वोट बैंक मानकर चल रही थीं, का रवैया अभी तक नहीं बदला है। ये सुधरने की बजाय और अधिक बिगड़ते जा रहे हैं। इन दलों में सबका विश्वास के नये नारे के करण बेहद घबराहट और बैचेनी हो गयी है तथा इन दलों की सेकुलर मानसिकता और अधिक विकृत हो गयी है।
सेकुलर ताकतें अपनी गतिविधियों को और अधिक विकृत करती जा रही हैं। झारखंड में एक घटना घटती है जिसमें चोरी में पकड़े जाने पर एक मुस्लिम की हत्या कर दी जाती है और ये दल तथा सेकुलर मीडिया बौखला जाते हैं। संसद से सड़क तक गरमागरम बहसें तथा उपदेश शुरू हो जाते हैं। झारखंड की घटना को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर जैसे लोगों ने तो मुस्लिम प्रेम प्रदर्शित करने और हिंदू जनमानस को अपमानित करने का बीड़ा उठा लिया है। झारखंड की घटना को लेकर दिल्ली सरकार के वक्फ बोर्ड ने पीडित के परिवार को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की यह विकृत मानसिकता नहीं तो और क्या है? केरल से लेकर बंगाल और तमिलनाडु तक हिंदू जनमानस के खिलाफ कई घटनायें एक के बाद एक घटीं तथा अपने पड़ोस पाक तथा बांग्लादेश में भी हिंदुओं का उत्पीडन हो रहा है, उन हिंदुओं के प्रति किसी भी दल व केजरीवाल ने कोई मानवता नहीें प्रदर्शित की। इनका प्रेम केवल मुसलमानों के लिए है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपने ट्विटर हैंडिल पर राम के कार्टून वाला एक ट्वीट किया और उसके कैप्शन पर जय श्रीराम लिखा। इस पोस्ट में एक व्यक्ति को पेड़ से बांध हुआ है और उसे भीड़ पीटते हुए दिखाई दे रही है। भगवान श्रीराम का कार्टून ट्वीट करने पर उनकी सोशल मीडिया में जमकर आलोचना की जा रही है। आलोचक तो यहां तक कह रहे हैं कि कभी ‘अल्ला हू अकबर’ बोलकर मारने वालों का भी कार्टून ट्वीट करो। इस बात का कई आलोचकों ने जोरदार समर्थन किया। लोगोें ने शशि थरूर से पूछा कि मेरा सिर्फ एक ही सवाल है कि क्या मिस्टर शशि थरूर ‘अल्ला हू अकबर’ के खिलाफ उसी साहस के साथ लिख सकते हैं? लोगों ने सोशल मीडिया में यहां तक कहा है कि अब विश्वास हो गया है कि कांग्रेस केवल मुसलमानों की ही पार्टी है। कौन मूर्ख हिंदू है जो कांगे्रस को अभी भी वोट दे रहे हैं। यह वही शशि थरूर हैं जिन्होंने केरल में सरेआम गाय काटे जाने और गौमांस भक्षण के आयोजन का विरोध नहीं किया था।
ये वही तथाकथित सेकुलर ताकतें हैं जो बंगााल में जय श्रीराम बोलने पर हिंदुओं की हत्या की जा रही है तथा उन्हें सरेआम गोली तक मारी जा रही है, आज पूरा बंगाल जल रहा है वहां के लिए कोई भी सेकुलर दल नहीं बोल रहा है। बंगाल में अब तक 54 से अधिक बीजेपी व संघ के कार्यकर्ताओं की निर्ममतापूर्वक हत्यायें की जा चुकी हैं तथा भारतीय जनता पार्टी के विजय जुलूसों पर बमबारी की जा रही है तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संरक्षण में सरेआम गुंडागर्दी, हिंदू महिलाओं के साथ दुव्यर्वहार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। आज बंगाल की घटनाओं के लिए, वहां के हालातों के लिए कोई अधीर रंजन चैधरी अधीर नहीं हो रहा है। वह तो पीएम मोदी के लिए ही अपशब्दों की बौछार करता है। बंगाल की दुःखद व पीड़ादायी घटनाओं के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व उनके तथाकथित प्रवक्ता का एक भी ट्वीट आज तक नहीं आया है।
इसी प्रकार बसपा नेत्री मायावती झारखंड की घटना को लेकर अपने नकली आंसू तो बहा रही हैं। लेकिन बंगाल के हालातों पर एक भी प्रेसवार्ता नहीं कर पा रही हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव की नजर में तो बंगाल में क्या हो रहा है कुछ नहीं पता। यही नहीं इन नेतााओं की नजर में तो बंगाल भारत में है ही नहीं। आज पूरे बंगाल में जय श्रीराम का नारा एक बहुत बड़े बदलाव का संकेतक बन चुका है। जय श्रीराम के नारे बंगाल की अति सेकुलर और अपने आप को सबसे बड़ा संविधान का मसीह बताने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जड़ों को अंदर से खोखला कर रहा है। ममता के दल में गंभीर घबराहट दिखलायी पड़ रही है। उनकी पार्टी के समझदार नेता और कार्यकर्ता एक के बाद एक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। जय श्रीराम का नारा अब धार्मिक नारा न रहकर सत्ता प्रायोजित धार्मिक उन्माद व अराजकता के खिलाफ बदलाव का नारा बन गया है। ममता की पुलिस जय श्रीराम बोलने पर गोली चलवा रही है, लेकिन इन दलों के मुंह पर ताला लग गया हैं। बंगाल के हिंदुओं पर गोलियां और बम चलवाने वाली ममता पीएम मोदी के शासन को सुपर इमरजेंसी बता रही हैं ओर अपने गिरेबां में नहीं झांक रही।
अभी हाल ही में विश्व कप क्रिकेट में भाग ले रही भारतीय टीम की जर्सी का रंग बदल दिया गया है। यह रंग भी तथाकथित सेकुलर दलों को रास नहीं आया। भारतीय जनमानस व खेलप्रेमियों को टीम की जर्सी का रंग बदलने से कोई परेशानी नहीे हुई, लेकिन महाराष्ट्र से कांग्रेस विधायक एफ ए खान, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस सहित सभी विरोधी दलों को इस रंग से काफी परेशानी हो गयी। राजनैतिक विचारधारा और बौद्धिक तर्क से महामूर्ख इन नेताओं को लगा कि भारतीय क्रिकेट टीम का भगवाकरण भी कर दिया गया है। किसी भी खिलाड़ी ने इसका विरोध नहीं किया लेकिन इन नेताओं को मस्तिष्क ज्वर की बीमारी अवश्य हो गयी। यह नेता यह बात भूल गये कि भारतीय टीम में मोहम्मद शमी और खलील अहमद भी साथ में गये हैं वह भी यही जर्सी पहनेंगे।
लेकिन अभी नेताओं के बयानों का कहीं कोई असर नहीं दिखायी पड़ रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आजकल नेताओं को भी अपनी टीआरपी की चिंता सताती रहती है कि किस प्रकार से राष्ट्र के नाम अपना संदेश दिया जाये और अपनी कम्युनिटी के हक में बयानबाजी की जाये। यह सेकुलर जमात की निम्नतम स्तर की विकृत मानसिकता है जो समय पर उजागर हो रही है। इस प्रकार के तथाकथित बयानों से अपने आप ही मतांे का ध्रुवीकरण होता रहता है। अब देश के जनमानस पर इन नेताओं तथा दलों का कोई विश्वास नहीं रह गया है तथा यह लोग शून्य की ओर बढ़ते जा रहे हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित