लेख

अगस्त की क्रांति

जब किसी देश या समाज की विचारधारायें अपनी सीमाओं से बाहर आ जायें तथा इन्हीं विचारधाराओं के द्वारा उस देश तथा समाज के विकास में इतना गंभीर प्रभाव पड़े कि उस देश की व्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाये अर्थात जब किसी देश की सामाजिक , आर्थिक तथा सांस्कृतिक व्यवस्था या तो अपनी चरम सीमा पार कर ले या फिर चरम सीमा तक पहुंचने में विफल साबित हो तब उस देश में अपनी जीवनशैली को सुचारू रूप से चलाने के लिये एक ऐसे बदलाव की जरूरत होती है जो किसी देश या राज्य की सारी व्यवस्थायें इस कदर बदल दे ताकि उस राज्य के लोंगो का जीवन सुरक्षित हो सके , क्रांति कहा जाता है ।
स्वतंत्रता के बाद अपना देश एक ऐसी विचित्र स्थिति पर खड़ा था जिसके दोंनो हाथ पूर्णतया खाली थे फिर भी संभावनाएं बहुत थी उस समय देश की स्थिति जेल से रिहा हुये एक कैदी की तरह थी जिसके पास जीवन तो था पर जीवन जीने के साधन नहीं , लेकिन हमारे देश के महान क्रांतिकारी तथा राजनेताओं ने मिलकर देश में एक ऐसी व्यवस्था कायम की जो पहले कभी न कायम थी अर्थात जिस व्यवस्था से सभी वर्गों का भला हो सकता था ।
स्वतंत्रता के बाद देश अपने आप को संवारने की कोशिशें करने लगा । अपनी सरकारें बननी प्रारंभ हुयी तथा पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश का विकास होना प्रारम्भ हो गया । हमारा देश महान विभूतियों तथा संस्कृति से भरा हुआ था इसलिये तत्कालीन सरकारें देश की महान संस्कृति ,सभ्यता तथा विरासत को सुरक्षित करने की कोशिशें की ताकि पूर्वजों की दी हुयी विरासत को बचाया जा सके क्योंकि देश के अंदर ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ पूर्वजों की संस्कृतियां विद्यमान हैं जिसे बचाना हमारा प्रथम कर्तव्य है जो समाज तथा आने वाली पीढी को जीवन जीने का रास्ता दिखाती है ।
देश में पूर्वजों की विरासत वाले राज्य असम नागालैण्ड अरुणाचल प्रदेश मणिपुर मेघालय तथा जम्मू-कश्मीर हैं इन सभी राज्यों को भारतीय संविधान के मुताबित स्थाई विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है केवल कश्मीर को छोड़कर क्योकिं कश्मीर में विशेष उपबंध का प्रावधान अस्थाई रूप में लागू किया था ।
ताकि इन राज्यों की विरासत को बचाया जा सके लेकिन आज इस विशेष उपबंध के सहारे कश्मीर के कुछ लोग इसका गलत उपयोग करके वहाँ के सभी नागरिकों का जीना दूभर कर दिया था यहाँ तक की कश्मीर के नागरिकों के सारे अधिकार छीन लिये गये थे जो आज हमारे भारत में लागू होते है ।
भारत एक ऐसा देश है जहां अनेकों भाषायें तथा धर्म के लोग निवास करते है फिर भी सभी लोग भारतीय कहलाते हैं अर्थात ( अनेकता में एकता ) । कश्मीर के लोग भारतीय तो माने जाते है किन्तु वे लोग हमारे देश की एकता के खिलाफ है क्योंकि स्वतंत्रता के बाद जब कश्मीर को भारत में विलय किया गया था तब वहाँ के राजा हरि सिंह ने सभी अधिकार भारत सरकार को नहीँ दिये थे इसलिये वे अधिकार जो हरिसिंह द्वारा अपनी प्रजा के हितों को बचाये रखने के लिये अपने पास रखे थे वही अधिकार आज कश्मीर की जनता को भारतवर्ष से अलग करके उनके समाजिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक विकास में बाधा पैदा कर रहे हैं यही कारण है कि आज तक भी हमारा देश स्वतंत्र होते हुये भी परतंत्रता की जंजीरों में जकडा हुआ था ।
कश्मीर में अनुच्छेद 370 तथा 35अ के कारण कहीँ तक कश्मीर की विरासत सुरक्षित थी लेकिन इसी सुरक्षित विरासत में पडोसी मुल्क आतंकवाद को पाल रहे थे जो देश की सुरक्षा के लिये बहुत बड़ा खतरा था इसीलिये देश की सुरक्षा को मजबूत करने तथा कश्मीर के निवासियों को उनके खोये अधिकारों को वापस लाने के लिये कश्मीर से विशेष अस्थायी उपबंध को खारिज किया गया ताकि ये लोग भी भारत देश की मुख्य विकासधारा से जुडकर अपने जीवन को सुरक्षित तथा सुव्यवस्थित कर ले , 14 अगस्त 2019 को कश्मीर से दोनों अस्थायी अनुच्छेदों को संविधान में संसोधित करके हटा दिया गया और कश्मीर को पूर्णता भारत देश में विलय कर लिया गया और कश्मीर तथा लद्दाख को अलग अलग राज्य बनाकर वहां की जनता के हितों को सुरक्षित तथा सुव्यवस्थित किया गया ये अगस्त की क्रांति एक ऐसी क्रांति हुयी जो भूले भटके लोगों को अपने रास्ते पर लाने की भरपूर कोशिश किया ताकि वे लोग भी अपनी मंजिल तक की यात्रा पूरी कर सके ।

ओम नारायण कर्णधार

पिता - श्री सौखी लाल पता - ग्राम केवटरा , पोस्ट पतारा जिला - हमीरपुर , उत्तर प्रदेश पिन - 210505 मो. 7490877265 ईमेल - [email protected]