पेट भरता है….
नेताओं के भाषण से नहीं
राशन से ही पेट भरता है.
राशन जुटाने में आम आदमी का दम निकलता है.
आज के नेताओं का अजीबोगरीब अंदाज अखरता है.
सत्ता मिलते ही वह जनता की खामियां निरखता है.
पानी तब सिर से भी ऊपर चला जाता है.
जब वोट लेने वाला नेता वोटरों के ऐब गिनाता है.
जरूरी मसायलों पर वो नहीं देता तनिक ध्यान.
गैरजरूरी मुद्दों को लेकर करता है लंबे लंबे ऐलान.
ये हालात अपने देश में तब तक बने रहेंगे.
जब तक आम लोग नेताओं से सवाल नहीं करेंगे
— उमेश शुक्ल