सत्य आज मौन है
सत्य आज मौन है
दहाड़ता है झूठ सत्य को कहे तू कौन है
झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है ..
दूषित हुआ है मन , दूषित विचारों की लहर चली
इंसानियत से हो विमुख ,इंसान की डगर चली
रावण दिखें गली गली ,पर राम यहाँ कौन है
झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है …..
बच्चियाँ हैं चिखतीं ,समाज है बहरा हुआ
मासूम पर शैतानों का अब वार है गहरा हुआ
ना देखते मासूम ना ही देखते वार्धक्य हैं
मासूम से बचपन पे भी अब खौफ का पहरा हुआ
खतरा भरा है सब जगह , महफूज यहाँ कौन है
झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है …..
झूठ और लूट की लहर चली गली गली
बेलगाम भँवरे हैं और त्रस्त है अब हर कली
साहुकार मस्त और लोग अब त्रस्त हैं
भ्रष्टाचार अत्याचार की जैसे लहर चली
गरीब नाम जपके ही तो वो अमीर हो गए
खो दिया है लाज शर्म औ जमीर खो गए
मिल जाए गरीब ,पूछें ये बता तू कौन है
झूठ की विकरालता से सत्य आज मौन है
विजयादशमी की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ