कहानी

मेरी प्रेरणा

मेरी प्रेरणा

” अब हम प्रकाश को इनकी बहादुरी और शांति कायम रखने के लिए “अशोक चक्र ” से सम्मानित करते हुए अपार हर्ष की अनुभूति महसूस कर रहे है।
इन्होंने नक्सली संगठन का बहादुरी से खात्मा करते हुए बहादुरी का परिचय दिया , साथ ही इन्होंने अपने किसी भी साथी को आँच भी नहीं आने दी।
उस इलाके को नक्सलियों के खोफ़ से मुक्त कर दिया।
इससे वहां की जनता में हर्ष उल्लास का माहौल बन गया है “।
” हमारे देश को प्रकाश जी जैसे बहादुर अफसरों की ही जरूरत है । हर युवा को इनसे प्रेरणा ले देश के विकास में अपनी भूमिका को निभाना चाहिए ” ।
आज पूरे देश को इन पर गर्व है ।
हमारे माननीय राष्ट्रपति जी के द्वारा प्रकाश को यह अशोक चक्र” दिया जा रहा है ।
सम्मान के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में उनसे पत्रकार ने उनसे बात की ।
” बहुत बहुत बधाई सर इस सम्मान के लिए”।
” धन्यवाद बहुत बहुत “।
” सर एक पहला और अंतिम सवाल ” आज जो यह सम्मान मिला है आपको इसका श्रेय आप किसको देंगे”?
प्रकाश के चेहरे पर कई भाव आते जाते है । कुछ सोच में पड़ जाता है फिर वो अपनी बात कहना शुरू करता है ।
” इसके पीछे एक कहानी है जिसको मेरे कुछ करीबी दोस्त ही जानते है ।
आज उसको मैं आपको बताता हूँ।
मैं जब स्कूल पूरा कर निकला तब मेरी दोस्ती गलत लड़को से हुई।
वो लोग दादा गिरी , लोगों के परेशान करना, लड़की छेड़ना, दारू पीना, आवारागर्दी , गांजा, अफीम पीना सब गलत काम करते थे ।
मुझे शुरुआत में उनका साथ अच्छा नहीं लगता पर धीरे धीरे मुझे यह सब अच्छा लगने लगा ।
उनके साथ मैं भी यही सब करने लग गया।
ऐसे करते हुए प्राइवेट पढ़ता था।
दो साल निकल गए यह सब करते हुए ।
एक दिन जब उसके साथ मैं बस स्टेंड पर बैठा था तब बस में से एक लड़की उतरी कॉलेज में जाने के लिए।
उसको देखते ही मुझे पहली नज़र वाला प्यार हो गया ।
उसको देखने दोस्ती करने के लिए रोज़ कॉलेज जाना शुरू किया पर वो मुझे बिल्कुल भाव नहीं देती थी।
मुझको बहुत बुरा लगता उस पर गुस्सा भी आता लगता कि उसको उठा लूँ पर जाने क्यो क्या बात थी जो मुझे यह सब करने से रोक रही थी।
मैं उसको प्यार करता हूँ , उसको देखता हूँ ,उसकी मदद करता हूँ यह बात वो और उसकी सहेली जानती थी पर उसने कभी मुझे देखा नहीं।
एक दिन मैं हिम्मत कर उसको दिल की बात कहने गया ।
” नेहा , मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ ।
तुम्हारे बिना जी नहीं सकता ।मुझसे शादी करोगी”।
” तुम जैसे मवाली से कौन प्यार करेगा । मैं नहीं करती तुमसे प्यार “।
” मैं बहुत प्यार करता हूँ ।तुम क्यों नहीं करती “?
” तुम्हारे कदमों में मैं जन्नत ला दूँगा तुम हाँ तो करो”।
” हा हा हा हा जिसने बहुत लोगों के जीवन में अंधेरा लाया हो वो क्या मेरे जीवन मे प्रकाश लाएगा ।
तुम अपने नाम के विपरीत हो मैं तुमसे नफरत करती हूँ।
यदि तुम मुझसे प्यार करते हो तो नाम को सार्थक करो लोगों के जीवन मे प्रकाश लाओ”।
उस दिन मैं नेहा से अंतिम बार मिला था उसकी बातों ने मुझे झंझोड़ कर रख दिया।
उसकी बातें दिल दिमाग पर हावी हो गई थी।
उसी दिन मैंने खुद को बदलने का निर्णय लिया और एक साल मैं खुद को पूरा बदल दिया फिर जो भी हुआ आपके सामने हूँ ” ।
” तो आप नेहा जी से शादी करना चाहेंगे या ?
” नहीं अब शादी नहीं करनी क्योंकि यह जीवन उसकी याद में देश सेवा के लिए है क्योंकि उसकी शादी हो गई “।
प्यार ही तो था उसका जिसने मुझे इतना बदल दिया, आज यह मुकाम दिलवा दिया ।
आप सभी का धन्यवाद ।।।

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।