कौन हो तुम ??
शिलालेख सी अबुझ पहेली
सन्मुख , किन्तु मौन हो तुम
व्याधि सी मन की आतुरता
सच बतलाना , कौन हो तुम
तुम प्रभव , प्रात की अंगड़ाई
या सरस सांझ का यौवन हो
दिवस की चढ़ती धूप धवल
या निविड़ निशा मनभावन हो
स्वप्नों के विलगित प्राङ्गण की
तुम कोरी कल्पना कौमारी
या असित सत्य के अर्णव की
आरुण्य आविका अवतारी
नीरव नयनों की नवल न्यास
ढलती पलकों पर जगती सी
या तिमिरकोष की रश्मिसुधा
विधु वल्लभ व्रत ठगती सी
मन मुकुर में मेरे मुर्त मुखर
लेकिन यथार्थ में गौण हो तुम
पूछ रही हृद की उत्कण्ठा
सच बतलाना , कौन हो तुम
— समर नाथ मिश्र
बहुत सुंदर